सार्वजनिक क्षेत्र के शीर्ष बैंकों ने कर्ज की ब्याज दरों में कटौती की है। इनमें भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआइ), पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया यानी यूबीआइ शामिल हैं। इन्होंने अपनी बें्क लेडिंग दरों को 0.9 फीसद तक घटाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को बैंकों से गरीबों और निम्न मध्यम वर्ग को लोन में प्राथमिकता देने की अपील की थी। इसके एक दिन बाद ही इन बैंकों ने यह फैसला किया है।
देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआइ ने एक साल की अवधि की फंडों की मार्जिनल कॉस्ट आधारित लोन दर (एमसीएलआर) को 8.90 से घटाकर आठ फीसद कर दिया है। दो साल की एमसीएलआर को कम करके 8.10 फीसद किया गया है। जबकि तीन साल की अवधि के लिए एमसीएलआर 9.05 फीसद से घटाकर 8.15 फीसद की गई है। पीएनबी और यूबीआइ ने भी अपनी-अपनी बें्क ब्याज दर घटाई है। इन्होंने इसमें 0.9 फीसद तक की कटौती की है। तीनों ही बैंकों की नई दरें रविवार से प्रभावी हैं।
प्रधानमंत्री ने 31 दिसंबर को बैंकों से गरीबों और मध्यम वर्ग पर विशेष ध्यान देने को कहा था। वह बोले थे, ‘बैंकों की स्वायत्तता का सम्मान करते हुए मैं उनसे कहूंगा कि वे परंपरागत प्राथमिकताओं से आगे बढ़ते हुए गरीबों, निम्न मध्यम वर्ग और मध्यम वर्ग पर ध्यान दें।’ साथ ही यह भी कहा था कि भारत पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जन्मशती को गरीब कल्याण वर्ष के रूप में मना रहा है। बैंकों को इस अवसर को अपने हाथ से नहीं जाने देना चाहिए। उन्हें जनहित में तत्काल उचित फैसले करने चाहिए।
बैंकों के कदम का स्वागत
आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास ने बैंकों की ओर से ब्याज दर में कटौती का स्वागत किया। उन्होंने ट्वीट करके कहा, ‘नोटबंदी के बाद ब्याज दरों में कटौती का ट्रेंड शुरू हुआ है। बैंकों के पास अब काफी मात्र में कम लागत का फंड है।’
ये भी घटा चुके ब्याज दर
पिछले सप्ताह एसबीआइ के सहायक बैंक स्टेट बैंक ऑफ त्रवणकोर ने कर्ज की दर में कटौती का एलान किया था। आइडीबीआइ ने भी इसमें 0.6 फीसद की कटौती की थी। नोटबंदी के बाद बैंकों के पास फंडों की कोई समस्या नहीं है।