दूसरी जगह बसेगी तेजी से डूब रही राजधानी, पढ़ें खबर

नई दिल्‍ली। इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता भविष्‍य में जावा द्वीप से बाहर जा सकती है। इसके संकेत इंडोनेशिया की सरकार की तरफ से आने शुरू हो गए हैं। दरअसल, राष्‍ट्रपति जोको विडोडो ने नेशनल डेवलेपमेंट एंड प्‍लानिंग बोर्ड के उस प्‍लान का समर्थन किया है जिसके तहत राजधानी जकार्ता को जावा द्वीप से बाहर ले जाने की बात कही गई है। इसकी जानकारी बोर्ड के चीफ बंबांग ब्रॉडजोनेगोरो ने दी है। हालांकि सरकार की तरफ से उस जगह का खुलासा अभी तक नहीं किया गया है जहां पर राजधानी को बसाया जाएगा। स्थानीय मीडिया के मुताबिक ‘पलानकोराया’ का नाम सबसे आगे है। ‘पलानकोराया’ बोर्नियो द्वीप पर स्थित है और सेंट्रल कालिमैनटन के उत्तर-पूर्व में कुछ सौ किलोमीटर दूर है।

आपको बता दें कि वर्ल्‍ड इकनॉमिक फोरम के मुताबिक जकार्ता दुनिया का सबसे तेजी से डूब रहा शहर है। इसकी एक बड़ी वजह पीने और नहाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले ग्राउंडवाटर की निकासी है। हालांकि जहां तक राजधानी को दूसरी जगह बसाने की बात है इसमें करीब दस वर्ष का समय लगेगा। इस दौरान करीब 23-33 बिलियन डॉलर खर्च होंगे। यह सब कुछ दूसरी जगह पर लोगों के रहने के लिए बनाए जाने वाले ढांचे और अन्‍य सुख सुविधाओं पर खर्च होंगे। संयुक्‍त राष्‍ट्र के मुताबिक जकार्ता में करीब एक करोड़ लोग रहते हैं। इसके अलावा 3 करोड़ लोग ग्रेटर मेट्रोपोलिटिन इलाके में रहते हैं।

आपको बता दें कि इंडोनेशिया दलदली जमीन के किनारे पर बसा है। इस शहर के नीचे से 13 नदियां निकलती हैं और दूसरी ओर से जावा सागर दिन-रात बिना रुके हुए शहर की ओर पानी फेंकता रहता है। यहां पर आने वाली बाढ़ की वजह से इस शहर का काफी हिस्सा अक्सर पानी में डूबा रहता है। एक शोध के मुताबिक वर्ष 2050 तक जकार्ता का 95 फीसद हिस्‍सा जलमग्‍न हो जाएगा। साल 2016 के एक सर्वे में सामने आया था कि महानगर जकार्ता का ट्रैफिक दुनिया में सबसे ज्‍यादाद खराब है। योजना मंत्री ब्रॉडजोनेगोरो के मुताबिक जकार्ता की ट्रैफिक की समस्या की वजह से अर्थव्यवस्था को हर साल 6.8 अरब डॉलर का नुकसान होता है।

यहां पर आपको ये भी बता दें कि हर साल 25 सेंटीमीटर की दर से यहां की जमीन जलमग्‍न हो रही है। बीते दस सालों में ये शहर ढाई मीटर समुद्र में समा गया है। यहां पर ये भी बताने वाली बात है कि उत्तरी जकार्ता ऐतिहासिक रूप से बंदरगाह वाला शहर रहा है और आज भी यहां तेनजंग प्रायक इंडोनेशिया का सबसे व्यस्त बंदरगाह है। इसी स्थान से किलिवंग नदी जावा सागर में समाती हैं। 17वीं शताब्दी में डच उपनिवेशवादियों ने इसी वजह से जकार्ता को अपना ठिकाना बनाया था।

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