देहरादून। आपातकालीन सेवा 108 व खुशियों की सवारी से निकाले गए फील्ड कर्मचारियों का बेमियादी धरना जारी रहा। बहाली व नई कंपनी में समायोजन की मांग को लेकर कर्मचारी परेड ग्राउंड स्थित धरना स्थल पर आंदोलनरत हैं। उनके आंदोलन को कांग्रेस समेत अन्य राजनीतिक दलों व कर्मचारी संगठनों का भी समर्थन मिल रहा है।
पुरोला विस क्षेत्र से कांग्रेस विधायक राजकुमार, पूर्व विधायक भीमलाल आर्य, पूर्व विधायक राजकुमार के अलावा उक्रांद के संरक्षक बीडी रतूड़ी, कार्यकारी अध्यक्ष हरीश पाठक, महामंत्री शांति प्रसाद भट्ट, जिलाध्यक्ष विजय बौड़ाई, भाजपा नेता व राज्य आंदोलनकारी रविंद्र जुगरान कर्मचारियों के समर्थन में धरना स्थल पहुंचे।
कांग्रेस विधायक राजकुमार ने कहा कि लंबे समय से 108 में तैनात रहे कर्मचारियों के भविष्य से खिलवाड़ नहीं होने दिया जाएगा। यदि राज्य सरकार इस दिशा में जल्द ही कोई सकारात्मक निर्णय नहीं लेती है तो वह आगामी विधानसभा सत्र में इस मामले को पुरजोर तरीके से उठाएंगे।
भाजपा नेता रविंद्र जुगरान ने कहा कि एक तरफ राज्य में स्वास्थ्य सेवाएं बदहाली के दौर से गुजर रही है। वहीं 108 के अनुभवी कर्मचारियों को नौकरी से बाहर किया जा रहा है और अप्रशिक्षित लोगों को आपातकालीन सेवा में तैनात किया जा रहा है। यह राज्य की जनता की जिंदगी के साथ बड़ा खिलवाड़ है।
उक्रांद के संरक्षक बीडी रतूड़ी ने कहा कि यह लड़ाई सिर्फ इन कर्मचारियों की ही नहीं, बल्कि प्रदेश के हर बेरोजगार की है। केंद्रीय कार्यकारी अध्यक्ष हरीश पाठक ने भरोसा दिया कि उक्रांद हर मोड़ पर आंदोलित फील्ड कर्मचारियों के साथ खड़ा रहेगा। वहीं कुछ कर्मचारी संगठनों के पदाधिकारी भी धरना स्थल पर पहुंचे और 108 सेवा से निकाले गए कर्मचारियों के आंदोलन को समर्थन का एलान किया।
पीएचएम के पद समाप्त किए जाने के खिलाफ खोला मोर्चा
उत्तराखंड मातृ-शिशु एवं परिवार कल्याण महिला कर्मचारी संघ ने पब्लिक हेल्थ नर्सेज (पीएचएम) के पद समाप्त किए जाने के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। संगठन पदाधिकारियों ने कहा कि यह एएनएम संवर्ग की पदोन्नति का पद है और ऐसा करके संवर्ग को एसीपी के रूप में मिलने वाले लाभ से भी वंचित किया जा रहा है।
संगठन की अध्यक्ष गुड्डी मटूड़ा की अध्यक्षता में एक आपात बैठक आयोजित की गई। वक्ताओं ने कहा कि उत्तराखंड निर्माण के समय 20 पीएचएम के पद उप्र से आवंटित हुए थे। जिन पर एएनएम की पदोन्नति की जानी थी। पर 19 वर्ष बीत जाने के बाद भी उक्त पदों पर पदोन्नति की प्रक्रिया प्रारंभ नहीं की गई है। जिससे 30-35 साल की सेवा पूर्ण कर लेने के बाद भी महिला कर्मियों की पदोन्नति नहीं हो पाई है। न ही एसीपी का लाभ ही दिया जा रहा है।
महिला कल्याण की बात करने वाली सरकार में ही महिला कर्मियों को मानसिक व आर्थिक हानि उठानी पड़ रही है। उन्होंने कहा कि शासन ने चार जनवरी 2017 को शासनादेश जारी कर एसीपी का लाभ दिए जाने के निर्णय लिया था। पर विभागीय अधिकारियों ने शासन को गुमराह किया।
उन्हें यह बताया कि पीएचएम का पद तीन वर्षीय डिग्रीधारी का है। जबकि पदोन्नति के लिए केवल सेवा की अर्हता ही सर्वोपरी होती है। अब विश्वस्त सूत्रों से पता चला है कि पीएचएम का पद समाप्त किया जा रहा है। जो एएनएम संवर्ग के साथ घोर अन्याय है। स्वास्थ्य विभाग डॉक्टरों व नर्सों को पूर्ण वेतन के साथ सेवा में रहते हुए डिग्री लेने की सुविधा उपलब्ध कराता है। पर एएनएम जो स्वास्थ्य विभाग की रीढ़ है उन्हें इससे वंचित रख गया है।
उन्होंने कहा कि एएनएम को पीएचएम पद पर पदोन्नति दी जाए व आवश्यक प्रशिक्षण भी कराया जाए। इस दौरान राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद से ठाकुर प्रहलाद सिंह, प्रदीप कोहली, नंद किशोर त्रिपाठी, हेमलता भंडारी, चित्रा राणा, विजया जोशी, पुष्पा सैनी आदि उपस्थित रहे।
आइएफएमएस व्यवस्था से वेतन-भत्तों के पड़े लाले
उत्तरांचल फेडरेशन ऑफ मिनिस्टीरियल सर्विसेज एसोसिएशन ने एकीकृत वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (आइएफएमएस) का विरोध किया है। कहा कि सॉफ्टवेयर में कई खामियां होने से वेतन-भत्ते समय पर नहीं मिल रहे हैं। 15 दिन के भीतर सुधार न हुआ तो मिनिस्टीरियल कर्मचारी आंदोलन करेंगे।
प्रदेश में एकीकृत वित्तीय प्रबंधन प्रणाली लागू हो चुकी है। इससे वेतन, भत्ते सभी ऑनलाइन जारी किए जा रहे हैं। मार्च में व्यवस्था शुरू होते ही इसमें तमाम खामी सामने आ गई। इससे कोषागारों से वेतन देने में विलंब हुआ। खासकर सेवानिवृत्ति होने वाले कार्मिकों की ग्रेच्यूटी, नकदीकरण, जीपीएफ आदि बिलों का निस्तारण नहीं हो पा रहा है।
इसी तरह कई भत्ते देय न होने के बाद भी सॉफ्टवेयर की कमी के कारण अपने आप अपडेट हो रहे हैं। कई कटौतियां गलत अपडेट हो रही हैं। इससे कर्मचारियों को खासी दिक्कतें उठानी पड़ रही हैं।
एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष सुनील दत्त कोठारी, महामंत्री पूर्णानंद नौटियाल ने बताया कि व्यवस्था लागू होने के बावजूद सैकड़ों कर्मियों के बिल भुगतान को कार्यालयों में लंबित पड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि अधूरी तैयारी के साथ यह व्यवस्था लागू की गई है। यदि इसमें सुधार न हुआ तो मिनिस्टीरियल कर्मियों को 15 दिन बाद बैठक बुलाकर आंदोलन की रणनीति बनाने को बाध्य होना पड़ेगा। एसोसिएशन ने मुख्य सचिव, मुख्यमंत्री, वित्त मंत्री को पत्र लिखते हुए व्यवस्था में सुधार की मांग की है।