देहरादून । शहरों में रहने वाले लोग इस बात को लेकर परेशान रहते हैं कि कैसे अपने घर में हरी सब्जिया उगाएं। क्योंकि शहरों में लोगों के पास इतनी भूमि नहीं होती कि वह खेती कर सकें, लेकिन दून स्थित कोरोनेशन अस्पताल के सीएमएस डॉ. बीसी रमोला ने विकल्प तलाश लिए हैं। उन्होंने पिछले कई वर्षों से बाजार से सब्जी नहीं खरीदी, क्योंकि वे घर की छत पर ही जैविक सब्जियों को उगाकर उसका उपयोग करते हैं। देहरादून के आराघर में रहने वाले डॉ. रमोला ने 300 स्क्वायर फीट की छत पर तोरी, सेम, पालक, लौकी, बैंगन, पत्तागोभी, मूली समेत कई सब्जिया उगा रखी हैं। उन्होंने वर्ष 2012 में छत पर बागवानी शुरू की थी। पहले कुछ ही सब्जिया उगाई, पर फिर धीरे-धीरे मौसम के हिसाब से सब्जिया उगाने लगे।
आज वह आठ से 10 प्रकार की सब्जिया उगा रहे हैं। रसोई के वेस्ट मटेरियल से खाद डॉ. रमोला ने सब्जियां उगाने में मंहगी चीजों का प्रयोग नहीं किया है। वह डिब्बे, टोकरियों, बड़े गमलों में सब्जियां उगा रहे हैं। डॉ. रमोला बताते हैं कि आजकल बाजार में सब्जियों के दाम दिन पर दिन बढ़ते जा रहे हैं। घर में सब्जिया उगाने से पैसे की तो बचत होती ही हैं, साथ ही शुद्ध सब्जी भी मिलती है। वह कहते हैं कि सब्जियों की पैदावार में किए जाने वाले रासायनिक खाद और कीटनाशकों के प्रयोग से कई तरह की बीमारिया हो रही हैं। ऐसे में किचन गार्डन का चलन बढ़ रहा है।
वह सब्जियों में कोई भी रासायनिक खाद व कीटनाशक का प्रयोग नहीं करते। बल्कि रसोई के वेस्ट मटेरियल से खाद तैयार करके सब्जिया उगाते हैं। कई बार इतनी सब्जी होती है कि आसपास के लोग भी खाते हैं। डॉ. रमोला कहते हैं कि छत पर बागवानी से घर गर्मियों में ठंडा और सर्दियों में गर्म रहता है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री व सीएम से ली प्रेरणा
वरिष्ठ नेत्र सर्जन डॉ. रमोला कहते हैं कि उन्हें प्रेरणा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री डॉ. त्रिवेंद्र सिंह रावत से मिली। दोनों ही नेताओं के बागवानी और पर्यावरण प्रेम ने उन्हें इस ओर प्रोत्साहित किया। आज उनकी देखा देखी कई लोग अपने घर की छतों पर सब्जिया उगा रहे हैं। उनका कहना है कि शुरू में थोड़ी मेहनत जरूर लगती है, लेकिन बाद में यह आपकी दिनचर्या में शामिल हो जाएगा और आपको अच्छा लगेगा। उनका कहना है कि पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए, शुद्ध वायु और ठंडक के लिए भी छत पर खेती करना लाभप्रद है।