देहरादून। अटल आयुष्मान योजना को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने सवाल उठाए हैं। उनके ट्विटर एकाउंट पर इसे लेकर एक पोस्ट शेयर की गई है। इसमें उन्होंने दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल के तीन मामलों का उल्लेख करते हुए कहा है कि लोगों को कार्ड होने के बाद भी उपचार नहीं मिल रहा। उनकी इस पोस्ट के बाद अस्पताल प्रशासन ने भी मामले में अपनी सफाई पेश की है। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की गर्दन की मांसपेशियों में खिंचाव आ गया था। इस पर वह दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुंचे थे। अपने ट्विटर एकाउंट पर उन्होंने लिखा है कि अस्पताल में उन्हें दो परिवार ऐसे मिले जिनका आयुष्मान कार्ड होने के बाद भी इलाज नहीं हो रहा है।
पूर्व सीएम ने एक फोटो भी अपलोड की। इसमें लिखा है कि रुद्रप्रयाग की सुनीता के पति बलवंत सिंह अस्पताल में भर्ती हैं। उनके पास आयुष्मान कार्ड है, मगर एमआरआइ बाहर निजी लैब से करवाने को कहा जा रहा है। इसके अलावा पिथौरागढ़ से आए दो परिवार एमआरआइ के लिए मारे-मारे फिर रहे हैं। उनको भी निजी लैब से एमआरआइ कराने को कहा गया है।पिथौरागढ़ से आए परिवारों ने हरीश रावत से इसकी शिकायत की। इसे हरीश रावत ने ट्विटर पर शेयर किया है। इधर, अस्पताल के डिप्टी एमएस डॉ. एनएस खत्री ने इन आरोपों को खारिज कर दिया है। उनका कहना है कि अटल आयुष्मान में एमआरआइ ओपीडी में निश्शुल्क नहीं है। भर्ती होने पर ही मरीज को इसका लाभ मिलता है। इसके अलावा प्रत्येक लाभार्थी के लिए जांच की सालाना लिमिट है। डॉ. खत्री ने बताया कि एक मामले में पूर्व सीएम की सिफारिश भी आई थी। उस मरीज के पास आयुष्मान कार्ड नहीं था। पर अत्यंत गरीब होने के कारण एमआरआइ निश्शुल्क कर दी गई थी। उन्होंने कहा कि जहां तक भर्ती मरीज का प्रश्न है, उनकी सर्जरी होनी है। अटल आयुष्मान में नियत प्रक्रिया के तहत डॉक्टर सामान की डिमांड देता है। उसके बाद ही सर्जरी की जाती है। उन्हें भी इस बात से अवगत करा दिया गया था। यह कहना गलत है कि मरीज को उपचार नहीं मिला।