नई दिल्ली ।भारत का विश्व कप में अब तक का सफर सुहाना रहा है। बावजूद इसके टीम इंडिया जब गुरूवार को ओल्ड ट्रैफर्ड में वेस्टइंडीज के खिलाफ उतरेगी तो उसके दिमाग में अफगानिस्तान के खिलाफ चरमाराए टॉप आर्डर के बाद मध्यक्रम की विफलता का भूत जरूर मंडराएगा। मतलब यह है कि टॉप ऑर्डर जब चला तो मध्यक्रम ने भी योगदान दिया, लेकिन जब टॉप आर्डर विफल रहा तो मध्यक्रम अपनी जिम्मेदारी को सही तरह से नहीं निभा पाया। इशारा साफ तौर पर महेंद्र सिंह धोनी की धीमी बल्लेबाजी को लेकर है। 52 गेंद में 28 रन की पारी के बाद महान सचिन तेंदुलकर भी उनकी आलोचना को मजबूर हो गए। देखने वाली बात यह होगी कि टीम मैनेजमेंट मध्यक्रम को लेकर क्या परिवर्तन करता है। एक बात तय है यहां वेस्टइंडीज हारा तो वह खिताब की दौड़ से बाहर हो जाएगा।
मध्यक्रम को दिखाना होगा दम
धोनी ने अब तक विश्व कप में 34(46), 27(14), 1(2), 28(52) की पारियां खेली हैं, लेकिन अफगानिस्तान के खिलाफ उनकी धीमी बल्लेबाजी ने टीम इंडिया की मुश्किलों को बढ़ा दिया। विश्व विजेता बनने की राह में आगे के मुकाबलों में इस तरह का जोखिम नहीं लिया जा सकता है। दरअसल समस्या नंबर चार से शुरू होती है। विजय शंकर पहली बार अफगानिस्तान के खिलाफ इस क्रम पर खेले। उन्होंने भी 41 गेंद में 29 रन बनाए। उनके बाद आए धोनी की धीमी बल्लेबाजी ने टीम पर दबाव बना दिया। देखने वाली बात यह होगी विंडीज के खिलाफ टॉप आर्डर के विफल रहने पर केदार जाधव को धोनी से ऊपर लाया जाता है या नहीं। धोनी का फॉर्म में आना टीम की सफलता के लिए बेहद जरूरी है। हाल के दिनों में स्पिन गेंदबाजों के खिलाफ उन्हें तेजी से रन बनाते नहीं देखा गया है, जबकि तेज गेंदबाजों के खिलाफ वह आसानी से छोर बदलते हैं। अफगानिस्तान के खिलाफ वह स्पिन ट्रैप में फंसे, लेकिन वेस्टइंडीज के पास तेज गेंदबाज हैं ऐसे में उन्हें फॉर्म में वापसी का मौका मिल सकता है।
इसी मैदान पर पहली बार हराया था वेस्टइंडीज को