देहरादून। आयुष विभाग में विभागीय मंत्री की अनुमति के बिना 28 फार्मेसिस्ट के तबादले कर दिए गए हैं। अचरज यह कि यह तबादले तब हुए हैं जब विभाग ने खुद ही विभागीय तबादलों के लिए शून्य सत्र का प्रस्ताव विभागीय मंत्री को भेजा था। शिकायतें मिलने पर आयुष मंत्री हरक सिंह रावत ने अब इस पूरे प्रकरण की जांच की बात कही है। उन्होंने कहा कि इस पूरे मामले में भ्रष्टाचार की भी शिकायत मिली है, जिसका परीक्षण कर जांच कराई जाएगी। वहीं, निदेशक, आयुर्वेद डॉ. अरुण त्रिपाठी ने कहा कि नियमानुसार तबादले किए गए हैं। किसी प्रकार की कोई गड़बड़ी नहीं हुई है जो आरोप लगाए जा रहे हैं, गलत हैं।
विभागीय तबादलों की निर्धारित समय सीमा पूरी होने पर इन दिनों विभिन्न विभागों में तबादले चल रहे हैं। निदेशक, आयुर्वेद एवं यूनानी सेवाएं कार्यालय ने भी चीफ फार्मेसिस्ट व फार्मेसिस्टों के तबादले किए हैं। हालांकि, कुछ दिनों पहले ही तबादलों के जीरो सेशन को लेकर फाइल विभागीय मंत्री को भेजी गई थी। वहीं, शाम होते-होते तबादले कर दिए गए। इन तबादलों के होते ही विवाद शुरू हो गया है। तबादलों के बाद कुछ लोगों ने इस मामले की शिकायत विभागीय मंत्री से की। आरोप लगाए गए कि तबादलों के लिए लेन-देन किया गया है। यहां तक कि चीफ फार्मेसिस्ट के पद पर प्रभारी के तौर पर फार्मेसिस्ट भेजे गए हैं। स्थानांतरण उन्हीं कर्मियों का हो सकता है जिन्होंने एक स्थान पर न्यूनतम तीन वर्ष की सेवाएं दी हों, लेकिन इन तबादलों में ऐसा नहीं किया गया है। ऐसे लोगों के भी तबादले कर दिए गए हैं जिन्हें एक स्थान पर डेढ़ से दो वर्ष ही हुए हैं।
इस संबंध में आयुष मंत्री हरक सिंह रावत का कहना है कि तबादला करना निदेशक का अधिकार है, मगर हाल ही में उन्हें शून्य तबादला सत्र का प्रस्ताव भेजा गया था। विधानसभा सत्र के चलते वह इसे देख नहीं पाए थे। शाम को ही उन्हें तबादलों की जानकारी मिली। इसके अलावा जो शिकायतें मिली हैं, वे गंभीर किस्म की हंै। मसलन, तबादलों में लेन-देन, न्यूनतम तीन वर्ष की सेवा का उल्लंघन और फार्मेसिस्ट को चीफ फार्मासिस्ट बनाने की शिकायतें शामिल हैं। इन शिकायतों का परीक्षण कर इसकी जांच कराई जाएगी। इसमें यदि कोई दोषी पाया गया तो उसे बख्शा नहीं जाएगा।