देहरादून। जिस सूचना को 30 दिन के भीतर दिया जाना चाहिए, उसमें 102 दिन की देरी करने पर राज्य सूचना आयुक्त चंद्र सिंह नपलच्याल ने उत्तराखंड शासन के उप सचिव (समाज कल्याण) राजेंद्र कुमार भट्ट पर 25 हजार रुपये का अधिकतम जुर्माना लगा दिया।
जीवनगढ़ निवासी प्रवीण शर्मा ने उत्तराखंड शासन के समाज कल्याण अनुभाग से विभिन्न बिंदुओं पर चार दिसंबर 2017 को सूचना मांगी थी। तय समय के भीतर सूचना न मिलने पर उन्होंने सूचना आयोग का दरवाजा खटखटाया। अपील की सुनवाई करते हुए राज्य सूचना आयुक्त चंद्र सिंह नपलच्याल ने पाया कि लोक सूचना अधिकारी स्तर से सूचना न मिलने पर संयुक्त सचिव के पास 21 जनवरी 2018 को विभागीय अपील की गई थी। जिसका निस्तारण उन्होंने 16 अप्रैल को किया। इतनी देरी के लिए आयोग ने संयुक्त सचिव को भविष्य के लिए चेतावनी जारी की। हालांकि, विभागीय अपील के बाद सूचना भेज दी गई थी। लिहाजा, आयोग ने लोक सूचनाधिकारी को कारण बताओ नोटिस जारी किया कि विभागीय अपील से पहले तय समय के भीतर सूचना क्यों नहीं भेजी गई। उस समय सूचनाधिकारी उप सचिव राजेंद्र प्रसाद भट्ट थे। उनके जवाब के आधार पर आयोग ने स्पष्ट किया कि प्रवीण शर्मा ने उस बीपीएल कार्ड की प्रति लगाई थी, जिसमें वह बतौर सदस्य हैं। इस आधार पर सीधे निश्शुल्क सूचना देने की जगह बीपीएल सत्यापन के लिए उप सचिव ने अनावश्यक रूप से पहले समाज कल्याण व फिर ग्राम्य विकास को प्रकरण भेज दिया।
लिहाजा, उप सचिव को सूचना देने में हीलाहवाली का दोषी पाते हुए अधिकतम जुर्माना लगा दिया गया। इसकी वसूली उप सचिव के वेतन से तीन बराबर किश्तों में करने के लिए प्रमुख सचिव समाज कल्याण को आदेश जारी किए गए।