प्रधानमंत्री मोदी के साथ गजब थी प्रणब दा की केमेस्ट्री

नई दिल्ली। 25 जुलाई, 2017 को पद छोड़ने से एक दिन पहले तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को एक पत्र मिला, जिसमें लिखा था, ‘तीन साल पहले, मैं एक बाहरी व्यक्ति के रूप में नई दिल्ली आया था। मेरे सामने काम बहुत बड़ा और चुनौतीपूर्ण था। इस समय में, आप हमेशा मेरे लिए एक पिता और एक संरक्षक रहे। आपकी समझदारी, मार्गदर्शन और व्यक्तिगत गर्मजोशी ने मुझे अधिक आत्मविश्वास और शक्ति प्रदान की है।’

प्रणब दा को यह पत्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लिखा था और मुखर्जी ने इसे एक संदेश के साथ ट्विटर पर पोस्ट किया कि यह पत्र ‘मेरे दिल को छू गया!’ 2014 के लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी की ऐतिहासिक जीत के बाद मोदी ने न केवल दिल्ली की राजनीति में एक बाहरी व्यक्ति होने की बात की, बल्कि यह भी बताया कि मुखर्जी के ‘बौद्धिक कौशल’ ने उनकी सरकार की मदद की। उन्होंने मुखर्जी के ‘स्नेही, देखभाल करने वाले’ पक्ष की भी जानकारी दी, जोकि उनके स्वास्थ्य के बारे में भी जानकारी लेते रहते थे।

पीएम मोदी और मुखर्जी का आपसी समीकरण पूरी तरह से सौहार्दपूर्ण था, जबकि किसी राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के संबंध के प्रोटोकॉल द्वारा निर्धारित और शिष्टाचार की सीमाओं से परिभाषित होते हैं। दोनों नेताओं के सहयोगियों का कहना है कि उनके एक-दूसरे से रिश्ते काफी अच्छे थे। उनके बीच किसी भी तरह का विवाद नहीं था, जैसा किकेआर नारायणन और अटल बिहारी वाजपेयी सरकार या फिर एपीजे अब्दुल कलाम और मनमोहन सिंह सरकार के बीच था।

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