क्विक फैक्‍ट चेक बाथरूम की सफाई में अधिकतर लोग कर सकते हैं ये गलतियाँ

अदृश्य शत्रु हमेशा ही उन दृष्टिगोचर शत्रुओं से ज्‍यादा खतरनाक होते हैं, क्‍योंकि आपका मुकाबला उससे हो रहा होता है, जिन्‍हें आप देख नहीं सकते। कोविड-19 महामारी इसका एक सटीक उदाहरण है। इसमें हम सभी एक अदृश्य वायरस का सामना कर रहे हैं, जिसने तबाही मचा रखी है। हालाँकि, इस तरह का खतरा सिर्फ वायरस तक ही सीमित नहीं है। हमारे घरों के अंदर मौजूद बैक्‍टीरिया, कीटाणु और दूसरे वायरस भी हमारी सेहत के लिये खतरा उत्‍पन्‍न कर सकते हैं। घरों के अंदर जिन जगहों पर बीमारियाँ पैदा करने वाले ये खतरनाक कीटाणु छिपे होते हैं, उनमें हमारे टॉयलेट्स और बाथरूम प्रमुख हैं।

हम सभी जानते हैं कि श्‍वसन की प्रक्रिया के दौरान निकलने वाले ड्रॉपलेट्स या पानी की बूंदों जैसे तत्‍व को‍रोनावायरस के प्रसार का प्रमुख स्रोत है। हालांकि, टॉयलेट्स और बाथरूम, जो हमारे परिवार द्वारा इस्‍तेमाल की जाने वाली साझा जगहें हैं, वहाँ पर कई ऐसे बैक्‍टीरिया एवं कीटाणु पैदा होते हैं, जो कई तरह के हानिकारक रोगों का कारण बन सकते हैं। छोटी और बंद जगहों पर, जहाँ शुद्ध हवा एवं सूरज की रौशनी बेहद कम मात्रा में या बिल्‍कुल भी नहीं आती है, वायरस के फैलने की संभावना सबसे ज्‍यादा होती है। हमारो घरों में भी, साझा स्‍थलों के संदूषित होने का खतरा सबसे ज्‍यादा होता है और इसलिये उन सूक्ष्‍म जीव युक्‍त एरोसोल्‍स पर नजर रखना बेहद जरूरी है, जो कीटाणुओं एवं वारयस के प्रसार का कारण बन सकते हैं, ताकि हम समय रहते उनका खात्‍मा कर पायें। महामारी के मौजूदा दौर में खुली एवं बंद जगहों को स्‍वच्‍छ रखने एवं कीटाणु और वायरस रहित बनाने के लिये सुरक्षा के उचित उपायों को सुनिश्चित करना और उन्‍हें बनाये रखना पहले से ज्‍यादा जरूरी हो गया है।

दिखने में गंदा और बदबू से भरा बाथरूम सबसे डरावने दृश्‍यों में से एक हो सकता है और वहाँ संभावित रूप से बैक्‍टीरिया और कीटाणु प्रजनन कर सकते हैं और संक्रामक रोगों के कारण बन सकते हैं। आमतौर पर टॉयलेट्स के मामले में दुर्गंध और कीटाणु/बैक्‍टीरिया परेशानी के सबसे बड़े सबब हैं और सबसे आम चिंता भी, जिसे दूर करना कठिन भी होता है।

यहाँ कुछ आसान उपाय बताये जा रहे हैं, जो बाथरूम को बैक्‍टीरिया का अड्डा बनने से रोकने में मदद कर सकते हैं :

  1. फ्लोर्स को पोछें : बाथरूम टॉयलेट्स में कठोर जल के धब्‍बे लग सकते हैं और वे, खासकर उनके कोने, बैक्‍टीरिया तथा कीटाणुओं के लिये आसानी से प्रजनन की जगह भी बन सकते हैं। इसलिये, नहाने या कपड़े धोने के बाद बाथरूम के फ्लोर को सुखाने की सलाह हमेशा दी जाती है।
  2. टॉयलेट्स और वाश बेसिनों को साफ करें : दुर्गंध और मूत्रनली में संक्रमणों से बचने के लिये टॉयलेट को हर बार इस्‍तेमाल के बाद फ्लश करना महत्‍वपूर्ण है और साथ ही उसे टॉयलेट क्‍लीनर्स से नियमित रूप से साफ करना भी उतना ही महत्‍वपूर्ण है। टॉयलेट क्‍लीनर्स बनाने में सुरक्षा की मजबूत क्रियाविधि अपनाई जाती है, जो हानिकारक बैक्‍टीरिया तथा दुर्गंध को खत्‍म करती है।
  3. शॉवर्स को साफ करें : कम लोग जानते हैं कि शॉवर पर भी पुरानी परत, कीटाणु और गंदगी जम सकती है। इसके अलावा, साबुनों और तलछट का अवशिष्‍ट भी शॉवर की सतह पर जम सकता है और बैक्‍टीरिया के प्रजनन के लिये उपयुक्‍त जगह बन सकता है। इसलिये, शॉवर की सतह को नियमित रूप से साफ करना जरूरी है।
  4. टॉवेल्‍स और बाथमैट्स बदलें : टॉवेल्‍स और बाथमैट्स दूसरी सतहें हैं, जो लंबे समय तक नम रहती हैं। इसलिये, टॉवेल्‍स और बाथमैट्स को नियमित रूप से सुखाना महत्‍वपूर्ण है और उन्‍हें डिटर्जेंट्स और वाशिंग एजेंट्स से थोड़े-थोड़े अंतरालों में धोना और साफ करना भी उतना ही जरूरी है।
  5. टाइल्‍स और पर्दों को रगड़कर साफ करें : टाइल्‍स और पर्दे के दाग दिखाई नहीं देते हैं और इसलिये वे साफ दिख सकते हैं, लेकिन उन पर अक्‍सर बैक्‍टीरिया और कीटाणुओं की परतें बन जाती हैं, जिसका कारण बाथरूम की नमी है। इसलिये, इन सतहों को नियमित रूप से संक्रमणरोधी और कीटाणुओं को मारने वाली चीजों से रगड़कर साफ करना जरूरी है, ताकि बाथरूम स्‍वच्‍छ और स्वास्थ्यकर बना रहे।

बाथरूम नमी के लिये प्रवृत्‍त होते हैं, जिससे बैक्‍टीरिया और कीटाणुओं के लिये प्रजनन करने और जीवित रहने के लिये उपयुक्‍त वातावरण बनता है। इसलिये, घर के दूसरे कमरों की तरह ही, बाथरूम्‍स पर भी ध्‍यान दिया जाना चाहिये और उनकी नियमित सफाई करनी चाहिये। बाथरूम के मामले में मूलभूत उचित व्‍यवहार का पालन करने के अलावा, टॉयलेट्स में भी हाइजीन और स्‍वच्‍छता बनाये रखना महत्‍वपूर्ण है।

हाइजीन से जुड़ी समस्‍याओं को हल करने के सबसे आसान तरीकों में से एक है टॉयलेट क्‍लीनिंग प्रोडक्‍ट्स का इस्‍तेमाल कर टॉयलेट को नियमित रूप से साफ करना, जिससे टॉयलेट का इस्‍तेमाल करते समय भी उसकी सतह को साफ रखने में मदद मिल सकती है। ऐसे उत्‍पादों में सरफेस मोडिफिकेशन टेक्‍नोलॉजी होती है, जो टॉयलेट की सतह पर एक सुरक्षात्‍मक परत बनाती है और कई फ्लशेस के बाद भी बनी रहती है। डोमेक्‍स जैसे ब्राण्‍ड्स अनोखी फ्रेश गार्ड टेक्‍नोलॉजी के साथ आते हैं, जो टॉयलेट की सतह को इस तरह से  मोडिफाई करती है कि उस पर पानी लंबे समय तक टिक न सके। हाइड्रोफोबिसिटी (जल विरोधी शक्ति) कई फ्लशेस के बाद भी टॉयलेट को लंबे समय तक साफ और ताजा रखती है। लेखक – डॉ. मुकेश कुमार-सीनियर कंसल्‍टेंट न्‍यूरोलॉजिस्‍ट, मैक्‍स सुपर स्‍पेशियलिटी हॉस्पिटल, साकेत, दिल्‍ली

 

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