नई दिल्ली। खूनी ब्लू व्हेल गेम देश व दुनिया में लगातार बच्चों व युवाओं की जान ले रहा है। कई बच्चों ने इस गेम के चक्कर में मौत को गले लगा लिया। हालांकि अच्छी खबर ये भी है कि हाल ही में बरेली के 17 वर्षीय शुभम ने इस गेम से बाहर निकलकर एक मिसाल भी कायम की थी। ऐसा ही एक मामला मध्यप्रदेश के रायगढ़ में सामने आया है।मध्य प्रदेश के रायगढ़ जिले में रहने वाला नाबालिग राजू (बदला हुआ नाम) को भी न जाने कब ब्लू व्हेल गेम खेलने की लत लग गई। इस खूनी खेल के एक-एक चैलेंज को पार करता हुआ वह 50वीं स्टेज तक जा पहुंचा। लेकिन जब इस गेम के एडमिनिस्ट्रेटर ने उसे अंतिम चैलेंज के रूप में आत्महत्या करने को कहा तो राजू डर गया। अपने इस डर से पार पाने के लिए उसने जो तरीका अपनाया वह खास है।
…और काल के गाल में जाने से बच गया राजू
10वीं के छात्र राजू ने अपने इस डर से पार पाने की भरसक कोशिशें कीं। इस डर से पार पाना शायद उसके बूते की बात नहीं थी। फिर उसने एक ऐसा कदम उठाया जिसने उसे काल के गाल में समाने से बचा लिया। राजू ने अपने स्कूल की आंसर शीट पर अपने इस डर के बारे में लिख दिया।
बच्चे की कराई गई काउंसलिंग
प्रजापति ने आगे बताया, ‘राजू की आंसर शीट की जांच महिला टीचर हेमलता श्रींगी ने की। टीचर ने जब राजू की लिखी हुई पंक्तियां पढ़ीं तो वह तुरंत सचेत हो गईं। उन्होंने तुरंत स्कूल प्रशासन को इस बारे में बताया और फिर हमें इस बारे में जानकारी दी गई।’ उन्होंने बताया ‘अध्यापकों और स्थानीय लोगों का एक संगठन बनाया गया है, जिसने बच्चे को इस डर से बाहर निकालने में मदद की।’