तेहरान। ईरान के राष्ट्रपति हसन रुहानी ने कहा कि उनके देश के खिलाफ अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की आक्रामक रणनीति यह दिखाती है कि अमेरिका ‘‘परमाणु समझौते के अपने विरोध में अलग-थलग पड़ गया है।’’ ट्रंप ने व्हाइट हाउस में काफी समय से प्रत्याशित भाषण में 2015 के परमाणु समझौते के लिए अपना समर्थन ‘‘वापस’’ ले लिया और इसकी किस्मत का फैसला कांग्रेस पर छोड़ दिया। रुहानी ने कहा, ‘‘आज अमेरिका परमाणु समझौते के अपने विरोध और ईरानी लोगों के खिलाफ अपने मंसूबों में सबसे ज्यादा अलग थलग पड़ा है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘आज जो भी सुना गया वे केवल बेबुनियाद आरोप हैं जिन्हें वे वर्षों से दोहरा रहे हैं। ईरान आपसे कुछ भी उम्मीद नहीं करता।’’रुहानी ने ईरान और विश्व की छह शक्तियों के बीच ऐतिहासिक समझौते को खत्म करने की ट्रंप की धमकी को खारिज कर दिया। ट्रंप ने धमकी दी है कि अगर कांग्रेस ईरान पर नए कड़े प्रतिबंध नहीं लगाती तो वह समझौता खत्म कर देंगे। ईरानी राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘उन्होंने अंतरराष्ट्रीय कानून नहीं पढ़ा है। क्या कोई राष्ट्रपति खुद से बहुपक्षीय अंतरराष्ट्रीय संधि खत्म कर सकता है? जाहिर है वह यह नहीं जानते कि यह ईरान और अमेरिका के बीच का द्विपक्षीय समझौता नहीं है।’’
रुहानी ट्रंप की , क्षेत्र में कथित अस्थिर गतिविधियों संबंधी बातों का जवाब दे रहे थे। उन्होंने वर्ष 1953 के तख्तापलट में सीआईए की संलिप्तता की बात शुरू की जिसमें ईरान की लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकार को हटा दिया गया। उन्होंने वियतनाम से लेकर अफगानिस्तान और ईरान में युद्ध में अमेरिका की संलिप्तता की भी आलोचना की तथा अमेरिकी जहाज द्वारा ईरान के विमान को गोली मारकर गिराने का जिक्र किया जिसमें 290 लोग मारे गए थे।
ट्रंप ने ईरान की रेवोल्यूशनरी गार्ड्स और बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम पर कड़े प्रतिबंधों का आह्वान किया और कहा कि अगर कांग्रेस पश्चिम एशिया में ईरान की ‘‘अस्थिर’’ गतिविधियों का उचित विरोध नहीं करती तो वह समझौता ‘‘खत्म’’ कर सकते हैं। बहरहाल, वह उन कदमों से पीछे हट गए जिससे परमाणु समझौते को तुरंत खत्म किया जाएगा।