जेब ढीली करनी पड़ सकती है उत्तराखंड आने वाले सैलानियों को

देहरादून।  जैव विविधता के लिए मशहूर उत्तराखंड के संरक्षित क्षेत्रों में आने वाले सैलानियों को भविष्य में जेब ढीली करनी पड़ सकती है। हाल में नीति आयोग के उपाध्यक्ष के उत्तराखंड दौरे के दरम्यान वन विभाग की ओर से तैयार किए गए नोट में सुझाव दिया गया कि राज्य में प्रवेश करने वाले वाहनों के स्वामियों से ‘स्वच्छ पर्यावरण सेवा’ के लिए ‘अभिदान’ नाम से सेस लिया जाए। इस धनराशि का उपयोग जैव विविधता संरक्षण के लिए किया जा सकता है। माना जा रहा कि कार्बेट टाइगर रिजर्व से इसकी शुरुआत की जा सकती है।

71.05 फीसद वन भूभाग वाले उत्तराखंड में करीब 15 फीसद हिस्सा संरक्षित क्षेत्र के अंतर्गत है। इनमें छह नेशनल पार्क, सात अभयारण्य और चार कंजर्वेशन रिजर्व शामिल हैं। सैलानियों के सबसे अधिक आकर्षण का केंद्र कार्बेट और राजाजी टाइगर रिजर्व हैं। बाघों की प्रमुख सैरगाह कार्बेट को ही लें तो यहां हर सीजन में दो लाख से अधिक सैलानी वन्यजीवन का दीदार करने पहुंचते हैं।

इनमें अधिकांश अपने वाहनों से कार्बेट के गेट तक पहुंचते हैं। इस सबको देखते हुए ही वन विभाग ने निजी वाहनों की बढ़ती संख्या के मद्देनजर सेस का सुझाव दिया है। सूत्रों के मुताबिक यह सुझाव नीति आयोग के उपाध्यक्ष के हालिया उत्तराखंड दौरे को देखते हुए तैयार किया गया। इस पर मंथन चल रहा है और जल्द ही फैसला लिया जा सकता है। इस पहल के धरातल पर उतरने से जैव विविधता संरक्षण से संबंधित कार्यक्रमों के लिए राजस्व के रूप में हर साल ठीक-ठाक रकम मिल सकती है।

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