चारा घोटाला: सलाखों के पीछे लालू

-21 वर्ष बाद आया फैसला, 16 दोषी करार

रांची : अविभाजित बिहार के समय हुए चारा घोटाले में शनिवार को फैसला आ गया। सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह की अदालत द्वारा बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री सह वित्त मंत्री व राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव सहित 16 आरोपियों को दोषी ठहराये जाने के तुरंत बाद सभी को न्यायिक हिरासत में लेकर जेल भेज दिया गया। ये सभी देवघर कोषागार से अवैध निकासी से संबंधित मामले में दोषी करार दिए गए। सजा का एलान तीन जनवरी को किया जाएगा। इसी मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र सहित छह अभियुक्तों को बरी कर दिया गया। चारा घोटाले में यह दूसरा ऐसा मामला है जिसमें लालू प्रसाद को जेल हुई है। इसके पहले चाईबासा कोषागार से 7 करोड़ रुपये की अवैध निकासी के मामले में भी अक्टूबर 01 में लालू प्रसाद को पांच साल की सजा हो चुकी है और जमानत भी मिल चुकी है। लेकिन सजायाफ्ता होने के कारण संसद की सदस्यता गंवा बैठे। लालू के खिलाफ चार अन्य मामलों में फैसला आना अभी बाकी है।1शनिवार सुबह कोर्ट खुलते ही लालू प्रसाद, जगन्नाथ मिश्र सहित इस मामले में ट्रायल फेस कर रहे कुल आरोपी व उनके समर्थकों की भीड़ जुट गई थी। कोर्ट ने दोपहर तीन बजे फैसला सुनाने को कहा। एक बार फिर दिन के दो बजे के बाद कोर्ट में भीड़ लगनी शुरू हो गई। फैसले के दौरान कोर्ट रूम से लेकर कोर्ट परिसर तक में भारी भीड़ मौजूद थी। दोषी ठहराए जाने के बाद लालू के समर्थक व राजद कार्यकर्ता आक्रोशित हो गए। कोर्ट परिसर में ही नारेबाजी करने लगे। ऐसे में अभियुक्तों को कड़ी सुरक्षा में बिरसा मुंडा सेंट्रल जेल होटवार ले जाया गया। 1दोनों पक्षों की ओर से 1 दिसंबर को सुनवाई पूरी हुई थी। इसके बाद अदालत ने फैसले की तिथि दिसंबर निर्धारित की थी। फैसले के दौरान सभी आरोपियों को सशरीर न्यायालय में उपस्थित होने का आदेश दिया गया था। लालू प्रसाद व जगन्नाथ मिश्र सहित अन्य आरोपी शुक्रवार की शाम रांची पहुंच गए थे। लालू के साथ उनके पुत्र तेजस्वी यादव भी रांची आए हैं। देवघर कोषागार से 89.04 लाख रुपये की अवैध निकासी से संबंधित चारा घोटाले में 1996 में प्राथमिकी दर्ज होने के करीब 1 वर्ष बाद फैसला सुनाया गया है। यह निकासी पशु चारा, दवा व पशुपालन से जुड़े उपकरणों की खरीद, विभिन्न पशुपालन केंद्रों में उनकी आपूर्ति और अन्य मदों में की गई थी। सीबीआइ की जांच में यह सभी व्यय फर्जी पाए गए थे। अदालत ने आरोपियों को मुख्य रूप से सरकारी राशि का गबन करने, धोखाधड़ी करने, सरकारी पद का दुरुपयोग करने आदि व भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत दोषी पाया। देवघर कोषागार से अवैध निकासी के मामले में करार दिए गए दोषियों में तीन राजनेता, पशुपालन विभाग के पांच अधिकारी और आठ आपूर्तिकर्ता शामिल हैं।

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