ऋषिकेश। राजस्व अभिलेखों में छेड़छाड़ कर 60 बीघा भूमि का स्वामित्व बदलने के मामले में तहसीलदार ने तत्कालीन रजिस्ट्रार कानूनगो सहित तीन लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है। करीब 17 वर्ष पुराने इस मामले में वर्ष 2004 में उप जिलाधिकारी न्यायालय ने वसीयत को फर्जी पाते हुए राजस्व अभिलेखों में दर्ज नाम को हटाने के आदेश जारी किये थे, मगर राजस्व अधिकारियों ने बाद में अभिलेखों में छेड़छाड़ कर भूमि का स्वामित्व बदल दिया था।
कोतवाली प्रभारी निरीक्षक प्रवीण ¨सह कोश्यारी ने बताया कि वर्ष 2000 में श्री भरत मंदिर इंटर कॉलेज के समीप 60 बीघा जमीन को लेकर त्रिवेणी घाट निवासी महंत गोपाल गिरी उर्फ नंदू गिरी के द्वारा राजस्व अभिलेखों में एक वसीयत अपने नाम से दर्ज कराई गई थी। वर्ष 2004 में तत्कालीन उप जिलाधिकारी ने इस मामले में वसीयत को गलत पाया और उप जिलाधिकारी कोर्ट से यह आदेश जारी हुआ कि यह वसीयत गलत है।
इसलिए राजस्व अभिलेखों से महंत गोपाल गिरी उर्फ नंदू गिरी का नाम को हटाया जाए। इस मामले में राजस्व विभाग के तत्कालीन अधिकारी ने संबंधित अभिलेखों में उप जिलाधिकारी के आदेश को चस्पा तो कर दिया मगर रजिस्टर में उसका उल्लेख नहीं किया। बाद में अभिलेखों से उप जिलाधिकारी का यह आदेश ही गायब कर दिया गया और अभिलेखों में भूस्वामी के रूप में गोपाल गिरी का ही नाम चला दिया गया।
इस मामले में जिलाधिकारी के आदेश पर तहसीलदार रेखा आर्य ने मामले की जांच की। जांच में तत्कालीन रजिस्ट्रार कानूनगो राजेंद्र प्रसाद शर्मा को राजस्व अभिलेखों में छेड़छाड़ के लिए दोषी पाया गया। शनिवार को इस मामले में तहसीलदार रेखा आर्य ने कोतवाली पुलिस को तहरीर देते हुए तत्कालीन रजिस्ट्रार कानूनगो राजेंद्र प्रसाद शर्मा, महंत गोपाल गिरी और उसके सहयोगी डॉ. महेंद्र कुमार राणा सभी निवासी ऋषिकेश के खिलाफ संबंधित धाराओं में मुकदमा पंजीकृत कराया है।
एसबीएम इंटर कालेज के समीप है 60 बीघा भूमि
तहसीलदार रेखा आर्य ने बताया कि 60 बीघा भूमि के जिस मामले में तत्कालीन राजस्व कानूनगो सहित तीन लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है, उस भूमि का नंबर श्री भरत मंदिर इंटर कॉलेज के समीप का है। उन्होंने बताया कि जिलाधिकारी के आदेश पर तहसीलदार ऋषिकेश द्वारा पूरे मामले की जांच की है। देहरादून में राजस्व के रिकॉर्ड को भी खंगाला गया। जिसके आधार पर यह भूमि किसी राममूर्ति के नाम पर मिली। उन्होंने बताया कि बंदोबस्त विभाग से जब यह पत्रावलियां ऋषिकेश तहसील को सौंपी गयी तो यह मामला प्रकाश में आया। उन्होंने बताया कि महंत गोपाल गिरी ही नंदू गिरी के नाम से भी जाना जाता है। संबंधित मामले की जांच के दौरान विभिन्न लोगों के बयान भी दर्ज किये गए हैं।