ईंट भट्टों के सञ्चालन को नए नियम लागू

देहरादून। प्रदेश में कोर्ट में चल रहे वाद के कारण बंद पड़े ईंट भट्टों के लिए शासन ने नई व्यवस्था की है। इसके तहत ईंट भट्टा स्वामी वर्ष 2016 में निर्धारित ईंट मिट्टी पर रॉयल्टी जमा कर ईंट भट्टा संचालन करने के लिए आवेदन कर सकेंगे। यदि कोई ईंट भट्टा मालिक शुल्क जमा करने में विलंब करता है अथवा जमा नहीं करता है तो वसूली प्रमाणपत्र जारी करते हुए जिलाधिकारी के जरिए उक्त राशि वसूल की जाएगी।

प्रदेश में इस समय कई ईंट भट्टों का संचालन बंद पड़ा है। दरअसल, वर्ष शासन की ओर से बनाई गई उत्तराखंड उपखनिज चुगान नीति में ईंट भट्टा की स्वीकृति व संचालन के लिए आवेदन शुल्क निर्धारित नहीं किया गया है। जबकि वर्ष 2017 में आवेदन शुल्क 2.50 लाख रुपऐ और ईंट की रॉयल्टी दर एक हजार रुपये प्रति हजार रुपये रखी गई थी। इस मामले को लेकर कुछ ईंट भट्टा व्यवसायी कोर्ट की शरण लिए हुए हैं।

इस कारण ईंट भट्टा संचालन में दिक्कत आ रही है। इसे देखते हुए शासन ने वर्ष 2016 के शासनादेश के अनुसार तय ईंट मिट्टी की रॉयल्टी जमा करने पर ईंट भट्टा संचालन के लिए अनुमति दी है। आवेदकों को पहले शपथ पत्र देना होगा कि कोर्ट के अंतिम निर्णय के अनुसार निर्धारित आवेदन शुल्क जमा करेंगे। प्रमुख सचिव औद्योगिक विकास आनंद वर्धन की ओर से इस आशय का आदेश जारी किया गया है।

पिथौरागढ़ व पौड़ी में ई-नीलामी के क्षेत्र चिह्नित: 

शासन ने ऊधमसिंह नगर, पिथौरागढ़ और पौड़ी में बालू, बजरी, बोल्डर, मिट्टी व सिल्ट के लिए नए खनन क्षेत्रों को चिह्नित किया है। इसके तहत पिथौरागढ़ में छह, ऊधमसिंह नगर में 24 और पौड़ी में छह क्षेत्रों को चिह्नित किया गया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *