जयपुर। मेवाड़ शाही परिवार के सबसे वरिष्ठ सदस्य महेन्द्र सिंह ने सेंसर बोर्ड पर आरोप लगाया कि फिल्म पद्मावती उनके शौर्य वीरों को गलत तरीके से दिखाये जाने का समर्थन करती है और यह सामाजिक सौहार्द के लिये खतरा बन सकती है। महेन्द्र सिंह ने केन्द्रीय सूचना प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी और राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को पत्र लिखकर कहा कि सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष प्रसून जोशी ने सभी तथ्यों पर गौर नहीं किया है, जो सेंसर बोर्ड की अयोग्यता दर्शाता है। अपने पत्र में उन्होंने कहा कि ऐसे में फिल्म पद्मावती को जल्बाजी में प्रमाणपत्र जारी करना सामाजिक सौहार्द के लिये खतरा बन सकती है।
सिंह ने सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष प्रसून जोशी पर आरोप लगाया कि उन्होंने फिल्म की विशेष स्क्रीनिंग के लिये दो पैनल आमंत्रित किया था लेकिन उन्होंने सिर्फ एक पैनल को गुपचुप तरीके से फिल्म दिखा दिया। पत्र में उन्होंने लिखा कि ऐसी धारणा बनाई जा रही है कि पैनल के सदस्यों ने फिल्म देखने के बाद कुछ बदलावों के बाद इसकी रिलीज के लिये अपनी सहमति प्रदान की, जबकि पैनल के दो सदस्यों ने अधिकारिक तौर पर फिल्म को रिलीज करने पर असहमति जताई है। उन्होंने कहा कि फिल्म की विशेष स्क्रीनिंग के लिये दो पैनलों को आमंत्रित करना एक दिखावा था और जिस पैनल ने यह फिल्म देखी उसके सदस्यों के नामों का इस्तेमाल फिल्म की विश्वसनीयता बनाने के लिये किया जा रहा है, जबकि पैनल के दो सदस्यों ने फिल्म पर अपनी असहमति जताई है।
उन्होंने पत्र में दावा किया कि फिल्म में ऐतिहासिक सत्यता के दावों को शामिल नहीं किया गया है और फिल्म को मलिक मोहम्मद जायसी की कविता ‘पद्मावत’ से प्रेरित काल्पनिक घोषित किया जा रहा है। इससे न केवल संस्कृति बल्कि कविता को भी गलत तरीके से फिल्म के जरिये पेश किया जा रहा है। सिंह ने कहा कि सभी समुदायों ने इतिहास में अपना योगदान दिया था और राजपूतों को सेंसर बोर्ड या उसके अध्यक्ष प्रसून जोशी के किसी प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं है।
गौरतलब है कि फिल्म की स्क्रीनिंग के लिये कुछ दिन पहले सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष द्वारा आमंत्रित किये जाने के बाद मेवाड़ महाराज के पुत्र विश्वराज ने प्रसून जोशी को लिखे पत्र में कुछ स्पष्टीकरण मांगे थे, जिसका जवाब नहीं आने पर उनके पिता महेन्द्र सिंह ने अब पत्र के जरिये सेंसर बोर्ड के आचरण पर सवाल उठाये हैं।