उत्तरकाशी : भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आइटीबीपी) के जवान सिर्फ सीमा सुरक्षा में ही मुस्तैद नहीं हैं, बल्कि स्थानीय स्तर पर गांव के युवाओं को रोजगार के लिए प्रेरित करने में भी अहम् भूमिका निभा रहे हैं।
आइटीबीपी की 12वीं वाहिनी के सेनानी डीपीएस रावत ने स्थानीय युवाओं को प्रेरित कर न केवल खूबसूरत बुग्याल गुलाबी कांठा से रोमांच के शौकीनों का परिचय कराया, बल्कि युवाओं को रोजगार की राह भी दिखा दी। फलस्वरूप दो साल में डेढ़ सौ से ज्यादा सैलानी इस बुग्याल की सैर कर चुके हैं।
समुद्रतल से 12500 फीट की ऊंचाई पर स्थित है खूबसूरत बुग्याल गुलाबी कांठा। वर्ष 2016 से पहले यह बुग्याल दुनिया की नजर से ओझल था। सिर्फ स्थानीय चरवाहे ही यहां आते थे। इन दिनों बर्फ से लकदक यह बुग्याल ढाई किलोमीटर लंबा और डेढ़ किलोमीटर चौड़ा है। सेनानी डीपीएस रावत बताते हैं कि वर्ष 2016 में चरवाहों से ही उन्हें इसके बारे में पता चला।
इस पर वह अपनी टीम के साथ यहां पहुंचे। चारों ओर खिले गुलाबी फूलों ने उनका मन मोह लिया। रावत कहते हैं तभी मन में ख्याल आया कि स्थानीय युवाओं को जोड़ यहां ट्रैकर्स को लाया जा सकता है, लेकिन समस्या थी रास्ते की। ऊबड़खाबड़ रास्ते को दुरुस्त कर ही यहां ट्रैकिंग की जा सकती थी।
उन्होंने बताया कि उत्तरकाशी से यमुनोत्री हाइवे पर हनुमानचट्टी तक 150 किमी की दूरी वाहन से तय करनी पड़ती है। हनुमानचट्टी से ही गुलाबी कांठा का पैदल ट्रैक शुरू होता है। यहां से तीन किलोमीटर की दूरी पर कंडोला थात और फिर सात किलोमीटर की दूरी पर सीमा टॉप पड़ता है। गुलाबी कांठा से डोडीताल, दयारा बुग्याल और यमुना नदी के उद्गम स्थल कालिंदी पर्वत तक भी पर्यटक आसानी से पहुंच सकते हैं। गुलाबीकांठा तक ट्रैकिंग कराने वाले स्थानीय युवा विजय सिंह और जगबीर सिंह बताते हैं कि आइटीबीपी जवानों की मदद से उन्होंने हनुमानचट्टी से दस किलोमीटर का ट्रैक तैयार किया। वे बताते हैं कि यहां सैर का सबसे अच्छा समय अप्रैल से लेकर अक्टूबर तक है। तब यह क्षेत्र फूलों से से गुलजार रहता है।
उत्तरकाशी के जिलाधिकारी डॉ. आशीष चौहान बताते हैं कि इस क्षेत्र को पर्यटन के लिए विकसित करने को आइटीबीपी की ओर से एक प्रस्ताव दिया गया है। उन्होंने कहा कि प्रस्ताव का अध्ययन कर जल्द ही इस पर काम भी शुरू कर दिया जाएगा।