नई दिल्ली/मुंबई। पंजाब नेशनल बैंक में हुए 11,400 करोड़ रुपए के घोटाले में बड़ा खुलासा हुआ है। शनिवार को गिरफ्तार किए गए तीनों आरोपियों ने कबूल किया है कि उन्हें एलओयू (लेटर ऑफ अंडरटेकिंग) जारी करने के बदले रिश्वत मिलती थी। उन्हें एलओयू की राशि के आधार पर एक निश्चित राशि मिलती थी और इस प्रक्रिया में शामिल सभी लोगों में बराबर बांटी जाती थी। बताया जा रहा है कि पीएनबी के कुछ और अधिकारियों के इस घोटाले में शामिल होने की आशंका है। पीएनबी द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, इस घोटाले में 63 दिनों में ही 143 एलओयू जारी कर दिए गए थे। पूछताछ में यह भी सामने आया है कि इस घोटाले में ना सिर्फ पीएनबी के अधिकारी बल्कि नीरव मोदी और मेहुल चौकसी के कर्मचारी भी शामिल थे। गौरतलब है कि शनिवार को सीबीआइ ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिनमें पीएनबी के तत्कालीन डिप्टी मैनेजर गोकुलनाथ शेट्टी, सिंगल विंडो ऑपरेटर मनोज खरात व नीरव मोदी की कंपनी का अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता कर्मचारी हेमंत भट्ट शामिल है। उधर, मीडिया रिपोर्टो में कहा गया है कि मुख्य आरोपी नीरव मोदी न्यूयॉर्क की आलीशान होटल में अमेरिकी पत्नी एमी संग छिपा बैठा है। मुंबई की एक विशेष अदालत ने तीनों गिरफ्तार आरोपियों को तीन मार्च तक सीबीआइ की रिमांड पर सौंप दिया। सीबीआइ को इस मामले में पीएनबी के कुछ और अफसरों के लिप्त होने और घोटाले की राशि और बढ़ने का शक है। सीबीआइ ने शनिवार को मुंबई में बैंक की ब्राडी रोड ब्रांच की जांच की। जांच अधिकारियों ने बैंक के आंतरिक सॉफ्टवेयर के बारे में भी जानकारी ली, जिसके जरिए फंड ट्रांसफर की सूचना अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दूसरी बैंकों को भेजी गई थी।