देहरादून: बर्ड स्प्रिंग फेस्टिवल में शिरकत करने पिंजौर (हरियाणा) से थानो (देहरादून) पहुंचे गिद्ध विशेषज्ञ डॉ. विभु प्रकाश गिद्धों की लगातार घट रही संख्या से बेहद चिंतित हैं। कहते हैं, ‘आज गिद्ध देखने को भी नहीं मिलते, जबकि वह प्रकृति और मनुष्य, दोनों के शुभचिंतक हैं। हालांकि, यह अच्छी बात है कि सरकार ने इस चिंता को समझा है और गिद्धों को बचाने के लिए उनके अंडों के संरक्षण पर विशेष ध्यान दे रही है।’
शनिवार को पत्रकारों से बातचीत में डॉ. विभु प्रकाश ने बताया कि वर्ष 1990 से पहले देश में गिद्धों की संख्या चार करोड़ से अधिक थी। लेकिन, वर्ष 1996 में गिद्ध अप्रत्याशित ढंग से 97 प्रतिशत घट गए। यह गंभीर चिंता का विषय है। इसके लिए डाइक्लोफेनिक नामक दवा मुख्य रूप से जिम्मेदार है। असल में दर्द निवारण के रूप में दुधारु पशुओं में डाइक्लोफेनेक का इस्तेमाल किया जाता है
इन पशुओं के मरने पर गिद्ध इनका भक्षण करते हैं, जिससे शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ने पर उनकी किडनी फेल हो जाती है। इसके अलावा पशुओं में दूध की मात्रा बढ़ाने के लिए ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन दिए जाते हैं। यह दवा भी गिद्धों के लिए जानलेवा साबित होती है।
डॉ. विभु प्रकाश के अनुसार गिद्ध एक ऐसा पक्षी है, जो सिर्फ मृत जानवरों को ही अपना आहार बनाता है। वह मृत जानवरों से उठने वाली दुर्गंध ही नहीं, इससे होने वाली बीमारियों से भी मनुष्य को बचाता है। इसलिए शेष रह गए गिद्धों को बचाने जाने की सख्त जरूरत है। उन्होंने बर्ड फेस्टिवल में आए लोगों को गिद्धों से संबंधित कई रोचक जानकारियां भी दीं।