देहरादून: प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में सरकार ने लिंगानुपात बढऩे का दावा किया है। सरकार द्वारा आशा कार्यकर्ताओं के जरिए कराए गए सर्वेक्षण के आधार पर मिले नतीजों से सरकार भी खासी उत्साहित है। इसमें 0-6 आयुवर्ग में लिंगानुपात 934 निकला है। यह हाल ही में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के चौथे सर्वे के आंकड़ों से अधिक है। इन आंकड़ों पर नजर डालें तो बागेश्वर जिले में बालिकाओं की संख्या अधिक है। यहां लिंगानुपात 1036 है। वहीं देहरादून के ग्रामीण क्षेत्रों में यह आंकड़ा सबसे कम यानी 912 है।
नेशनल हेल्थ मिशन के सर्वे में उत्तराखंड की स्थिति काफी चिंताजनक बताई गई थी। हालांकि, आंकड़ों को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है, कहीं इन्हें 844 बताया गया है तो कहीं यह आंकड़ा 888 है। वैसे, दोनों ही आंकड़े सरकार के बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ के नारे को आइना से दिखाते नजर आ रहे हैं।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के सर्वे से चिंतित प्रदेश सरकार ने अपने स्तर से इसका सर्वे कराने का निर्णय लिया। इसके तहत प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में आशाओं से घर-घर जाकर वास्तविक लिंगानुपात पता लगा कर विस्तृत रिपोर्ट बनवाई गई। सर्वेक्षण के जो परिणाम नजर आए, उससे सरकार खासी उत्साहित नजर आ रही है। अब सरकार प्रदेश के शहरी क्षेत्रों में भी इस तरह का सर्वे कराने की तैयारी कर रही है।
ग्रामीण क्षेत्रों में लिंगानुपात की स्थित को लेकर सरकार के एक वर्ष पूरे होने के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में ‘उत्तराखंड में लिंगानुपात, सुधार हेतु सरकार की पहल’ पुस्तिका का मुख्यमंत्री ने विमोचन किया और इसका जिक्र अपने संबोधन में भी किया। उन्होंने कहा कि सरकार इस दिशा में गंभीर पहल कर रही है।
ग्रामीण क्षेत्रों में सर्वेक्षण के आंकड़े
जिला लिंगानुपात
उत्तरकाशी 948
चमोली 937
रुद्रप्रयाग 958
टिहरी गढ़वाल 922
देहरादून 922
हरिद्वार 912
पौड़ी गढ़वाल 942
पिथौरागढ़ 930
चंपावत 954
बागेश्वर 1036
अल्मोड़ा 955
नैनीताल 978
ऊधमसिंह नगर 938
औसत 934