गैरसैंण: प्रदेश सरकार ने अब अस्थायी तौर पर विभन्न विभागों में सेवा दे रहे कर्मचारियों को पेंशन देने का रास्ता बंद कर दिया है। सरकार ने साफ किया है कि पेंशन केवल मौलिक नियुक्ति वालों को ही दी जाएगी। इसमें संविदा, कार्य प्रभारित, अशंकालिक, दैनिक वेतनभोगी, तदर्थ व नियत वेतन में कार्य करने वाले शामिल नहीं होंगे। सरकार ने इस संबंध में उत्तराखंड सेवानिवृत्ति लाभ विधेयक सदन में पेश कर दिया है।
प्रदेश सरकार को हाल ही में कोर्ट ने संविदा कर्मियों के संबंध में पेंशन की व्यवस्था को लेकर निर्देश दिए थे। प्रदेश में कई विभागों में विभन्न स्रोतों के जरिये आउटसोर्सिंग पर कर्मचारी कार्यरत हैं। इसके चलते इनके भी कोर्ट में जाने की संभावना बढ़ गई थी। इसे देखते हुए सरकार ने अब पेंशन को लेकर नए सिरे से स्थित स्पष्ट की है। सरकार इसके लिए सदन में उत्तराखंड सेवानिवृत्ति लाभ विधेयक लेकर आई है। इसे राज्याधीन सेवा में मौलिक रूप से नियुक्त कर्मचारियों की सेवा पूर्ण करने, स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति एवं अनिवार्य सेवानिवृत्ति की दशा में लागू माना गया है।
इसमें साफ किया गया है कि कार्मिक की मृत्यु होने की दशा में आश्रितों को यह सुविधा दी जाएगी। इसमें पेंशन की धनराशि, पात्रता व सेवा अवधि का विस्तृत रूप से जिक्र किया गया है। पारिवारिक पेंशन में अविवाहित पुत्री के अलावा विधवा, तलाकशुदा बेटी के साथ ही सौतेली संतान तथा विधिवत गोद ली गई संतानें भी शामिल की गई हैं। हालांकि, इनके लिए आयु का बंधन रखा गया है। दिव्यांग व विक्षिप्त संतानों को आयु बंधन से मुक्त रखा गया है। इसमें आयु के साथ ही निश्चित प्रतिशत में पेंशन बढ़ोतरी का प्रावधान किया गया है।