देहरादून : चढ़ते पारे से मैदान भले ही बेचैन हों, लेकिन उच्च हिमालय में मौसम करवट बदल रहा है। शुक्रवार को नैनीताल में जोरदार ओलावृष्टि हुई वहीं पिथौरागढ़ की ऊंची चोटियों में हिमपात से मौसम में ठंडक बढ़ गई।
सरोवर नगरी नैनीताल में दोपहर एकाएक पहले बारिश फिर भीषण ओलावृष्टी हुई। करीब आधा घंटा तक हुई ओलावृष्टि से ठंड बढ़ गई तो यातायात भी थम गया। पर्यटकों सार्वजनिक स्थानों, दुकानों के समीप जाकर खुद को बचाया।
मार्च अंत में ओलावृष्टि को ग्लोबल वार्मिंग से भी जोड़कर देखा जा रहा है। समीपवर्ती खुर्पाताल, मंगोली, बजून व अन्य गांवों में ओलावृष्टी से खेतों में उगी शाकभाजी को व्यापक नुकसान हुआ है। बारिश व ओलावृष्टि से नैनी झील को भी ऑक्सीजन मिली है। इधर जहां तहां ओलों की सफेद चादर बिछने से पर्यटकों के चेहरे खिल उठे हैं।
वहीं, पिथौरागढ़ में तेज हवाओ के साथ बारिश हुई और चोटियों में जमकर हिमपात हुआ। मौसम खराब होने से प्रभारी मंत्री सुबोध उनियाल भी पिथौरागढ़ नहीं पहुंच सके। पिथौलागढ़ के धारचूला में 27एमएम डीडीहाट में 18एमएम और मुनस्यारी में 7 एमएम बारिश दर्ज की गई।
गत दिवस दोपहर बाद गढ़वाल और कुमाऊं के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में चोटियों पर बर्फबारी हुई। वहीं चमोली और पिथौरागढ़ के कुछ इलाकों में बूंदाबांदी के साथ ही तेज हवा चलने के भी समाचार हैं। मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार पर्वतीय क्षेत्रों में हल्की बर्फबारी और बारिश हो सकती है।
गुरुवार को सुबह से चटख धूप के बाद दोपहर बाद एकाएक बादल छा गए। बदरीनाथ में ऊंची चोटियों पर बर्फबारी शुरू हो गई है, वहीं केदारनाथ में भी हिमपात हुआ। हालांकि गंगोत्री और यमुनोत्री धाम में अभी बारिश हुई। कुमाऊं के पिथौरागढ़ में भी मौसम का मिजाज कुछ ऐसा ही है। चोटियों पर बर्फबारी के साथ ही मुनस्यारी में बारिश हुई।
दूसरी ओर मध्य हिमालय में बसे रुद्रप्रयाग, गोपेश्वर और उत्तरकाशी में अधिकतम तापमान 25 से 28 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया। वहीं हरिद्वार और रुड़की में यह क्रमश: 33 और 34 डिग्री सेल्सियस रहा।