ऋषिकेश में गंगा तट पर रॉफ्टिंग की 20 कैंपिंग साइट को किया रद

देहरादून: ऋषिकेश से लेकर कौडिय़ाला तक गंगा किनारे अब केवल पांच साइट में रॉफ्टिंग के मद्देनजर कैंपिंग हो सकेगी। इस क्षेत्र में 25 में 20 साइट को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की गाइडलाइन पर खरा न उतरने के कारण रद कर दिया गया है। जिन पांच साइटों को कैंपिंग के लिए उपयुक्त पाया गया, उन्हें इको टूरिज्म विकास निगम के जरिये विकसित किया जाएगा। इस कड़ी में निगम ने इन साइट की कुल 4.5 हेक्टेयर वन भूमि के हस्तांतरण के लिए वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को प्रस्ताव भेजा है।

गंगा में राफ्टिंग और बीच कैंपिंग के नाम पर पूर्व में कौड़ियाला से लेकर ऋषिकेश तक लगभग 40 किमी के फासले में कैंपिंग की बाढ़ सी आ गई थी। इस पर एनजीटी ने संज्ञान लिया और दिसंबर 2015 में कैंपिंग पर रोक लगा दी। तब इस क्षेत्र में 56 साइट में कैंपिंग हो रही थी।

इसके बाद 25 साइट को कुछ शर्तों के साथ कैंपिंग से छूट दी गई। इस बीच गत वर्ष एनजीटी ने गाइडलाइन जारी की, जिसके मुताबिक गंगा से 100 मीटर के दायरे में किसी भी प्रकार की कैंपिंग नहीं होगी।

एनजीटी की गाइड लाइन के अनुपालन में राज्य सरकार ने कैंपिंग साइट का संयुक्त सर्वे कराया। सर्वे में वन विभाग, वन विकास निगम और इको टूरिज्म विकास निगम शामिल थे।

इको टूरिज्म विकास निगम के प्रबंध निदेशक अनूप मलिक के मुताबिक 25 साइट में से सात को वन्यजीवन में खलल के मद्देनजर वन्यजीव विभाग ने रद कर दिया, जबकि 13 साइट को गंगा से 100 मीटर के दायरे में आने के कारण रद कर दिया गया। केवल पांच ही मानकों पर खरी उतर पाईं।
वहीं, वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत के मुताबिक एनजीटी की गाइडलाइन पर खरी उतरी कैंपिंग साइट के लिए भूमि हस्तांतरण के प्रस्ताव वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के क्षेत्रीय कार्यालय को भेजे गए हैं। वहां से हरी झंडी मिलने के बाद इन स्थलों को कैंपिंग के लिहाज से विकसित किया जाएगा। इनका संचालन पीपीपी मोड या फिर इको टूरिज्म विकास निगम खुद करेगा। अभी इस पर फैसला होना बाकी है।

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