देहरादून: प्रदेश में तबादला नीति लागू करना कई विभागों के लिए सिरदर्द साबित हो रहा है। तबादला नीति का अक्षरश: अनुपालन करने से इन विभागों के कार्य प्रभावित हो रहे हैं। ऐसे में इन विभागों ने नीति में ही दिए गए प्रावधानों के अनुसार इनमें परिवर्तन का अनुरोध शासन से किया है। शासन ने इनमें से तीन विभागों को छूट भी प्रदान की है। वहीं, अन्य कुछ विभाग अपना पक्ष शासन में रखने की तैयारी कर रहे हैं।
प्रदेश में इस वर्ष स्थानांतरण अधिनियम 2017 के अनुसार वार्षिक तबादले किए जाने हैं। इनमें सुगम क्षेत्र से दुर्गम क्षेत्र व दुर्गम क्षेत्र से सुगम क्षेत्र में अनिवार्य स्थानांतरण किया जाना है। इसके लिए विभागों की ओर से इन दिनों सुगम व दुर्गम स्थानों को चिह्नित किया जा रहा है।
कुछ विभागों में इस नीति के चलते खासी परेशानी हो रही है। नीति में यह व्यवस्था है कि जिन विभागों को इस तरह की परेशानी आएगी वे मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित समिति के सामने अपना प्रत्यावेदन रखेंगे। इस समति की संस्तुति पर मुख्यमंत्री के अनुमोदन के बाद उन्हें छूट प्रदान की जाएगी। इसी प्रावधान के तहत शासन ने तीन विभागों से मिले प्रत्यावेदन पर उन्हें छूट भी प्रदान कर दी है।इनमें राज्यकर विभाग, चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग व जलागम विभाग शामिल हैं।
राज्य कर विभाग ने अपने प्रत्यावेदन कहा कि सचल दल इकाईयों में सचल दल कार्य के लिए प्रभारी अधिकारी का कार्य सहायक आयुक्त द्वारा किया जाता है। इसमें राज्य अधिकारियों को सम्मलित करते हुए टैक्स चोरी पर कार्यवाही की जाती है। यह एक संवेदनशील कार्य है। इस कारण यहां कार्यरत कर्मचारियों का प्रतिमाह स्थानांतरण किया जाना जरूरी है। शासन ने इस पर सहमति देते हुए सचल दल इकाई में तैनात कर्मचारियों की कट ऑफ डेट 31 मई मानते हुए इनकी एक वर्ष की सेवा पूरी होने पर स्थानांतरण व पटल परिवर्तन की छूट प्रदान की है।
चिकित्सा विभाग का तर्क था कि प्रदेश में चिकित्साधिकारियों के 70 फीसद पद रिक्त हैं। इसे देखते हुए इस मौजूदा सत्र के लिए चिकित्साधिकारियों को इस अधिनियम से छूट दी जाए। इस पर शासन ने अपनी अनुमति प्रदान कर दी है। वहीं, जलागम विभाग ने अपने प्रत्यावेदन में कहा है कि विभाग में वर्ष 2014 से ग्राम्या-2 परियोजना चल रही है। जो कार्मिक इस योजना के लिए तैनात किए गए हैं, उन्हें फील्ड में कार्य करते हुए चार वर्ष पूरे नहीं हुए हैं। वहीं परियोजना से जुड़े कार्मिकों के हटने से इसमें प्रभाव पड़ सकता है। ऐसे में विभाग के फील्ड कर्मचारियों को इससे छूट दी जाए। इस पर भी शासन ने अपनी सहमति दी है।
परिवहन विभाग नई नियुक्तियों पर मांग रहा छूट
नई तबादला नीति से परिवहन विभाग भी खुद को प्रभावित पा रहा है। विभाग इसके लिए अपना प्रत्यावेदन शासन में भेजने की तैयारी कर रहा है। दरअसल, विभाग का यह तर्क है कि विभाग में मुख्य कार्य राजस्व वसूली का है। अधिकांश राजस्व वसूली मैदानी क्षेत्रों के कार्यालयों से होती है। विभाग में नई नियुक्तियां भी होनी है। ऐसे में यदि नई नियुक्तियों के साथ ही सुगम में तैनात कर्मचारियों का अनिवार्य रूप से तबादला होता है तो मैदानी जिले में कर्मचारियों की संख्या काफी कम हो जाएगी। इसे देखते हुए राजस्व स्टाफ को भी इससे छूट दी जाए। हालांकि, अभी इस प्रस्ताव को शासन को भेजा जाना बाकी है।