देहरादून: प्रदेश के सरकारी, निकायों, निगमों के ढाई लाख कार्मिकों का सातवें वेतनमान के भत्तों को लेकर इंतजार जल्द खत्म होने जा रहा है। इस मामले में मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित समिति ने बैठकों का दौर शुरू कर दिया है।
कार्मिकों को भत्ते देने से सरकारी खजाने पर सालाना 350 करोड़ से ज्यादा बोझ पड़ेगा। सरकार आर्थिक संसाधनों को जुटाने के बंदोबस्त में जुट गई है। नए भत्तों के संबंध में प्रस्ताव को अगली कैबिनेट में लाया जा सकता है।
राज्य सरकार बीते वर्ष 2017 की जनवरी से सातवें वेतनमान को लागू कर चुकी है। पहले से ही खराब माली हालत से जूझ रही सरकार को नया वेतनमान लागू होने के बाद से हर महीने वेतन, मानदेय व पेंशन पर हो रहे खर्च से जूझना भारी पड़ रहा है। इस वजह से नए वेतनमान के एरियर का पूरा भुगतान अब तक कार्मिकों को नहीं हो पाया है।
अभी तक सिर्फ 50 फीसद एरियर ही दिया गया है। इन हालात में सातवें वेतनमान के मुताबिक भत्तों को देने का मामला आगे खिसकता जा रहा है। इन भत्तों के संबंध में सातवें वेतन आयोग के लिए गठित समिति अपनी रिपोर्ट और संस्तुतियां सरकार को सौंप चुकी है।
सरकार की ओर से इन संस्तुतियों के मुताबिक भत्तों को दिए जाने के फैसले के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में समिति गठित की गई है। समिति में वित्त सचिव समेत करीब आधा दर्जन सचिव बतौर सदस्य शामिल हैं।
कर्मचारी संगठनों की ओर से दबाव बढ़ने के बाद अब सरकार ने कार्मिकों को नए भत्ते को लेकर मंथन शुरू कर दिया है। मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह की अध्यक्षता में समिति की लगातार बैठकें हो रही हैं। बैठकों में भत्ते लागू होने की स्थिति में सरकार और महकमों पर पड़ने वाले आर्थिक बोझ से निपटने की रणनीति पर विचार किया जा रहा है।
उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो राज्य के कार्मिकों को सातवें वेतन समिति की सिफारिशों के अनुरूप भत्तों का का तोहफा जल्द मिल सकता है। नए भत्ते लागू होने से कार्मिकों के वेतन में तकरीबन पांच हजार रूपये तक इजाफा हो सकता है। इससे कोषागार पर साढ़े तीन सौ करोड़ से ज्यादा बोझ पड़ेगा। इस संबंध में प्रस्ताव को अगली कैबिनेट बैठक में रखा जा सकता है।