कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री कुमारस्वामी की भर आईं आंखें, कहा-गठबंधन की सरकार चलाना हो गया है विषपान करने जैसा

बेंगलुरु । कर्नाटक में सरकार गठन को लेकर चले लंबे सियासी ड्रामे के बाद अब राज्य के मुख्यमंत्री कुमारस्वामी के एक बयान ने राजनीतिक गलियारों में फिर से हलचल पैदा कर दी है। कर्नाटक में गठबंधन की सरकार चलाना मुख्यमंत्री के लिए विषपान करने जैसा हो गया है। ये बात किसी और ने नहीं बल्कि खुद कुमारस्वामी ने कही है। शनिवार को एक कार्यक्रम के दौरान कुमारस्वामी का दर्द आंसू बनकर आंखों से छलकता दिखा। इससे यह तो साफ हो गया है कि कर्नाटक में कांग्रेस और जेडीएस के बीच कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है। हालांकि इस बीच मुख्यमंत्री के फूट-फूट के रोने पर कांग्रेस ने पलटवार किया है।

कांग्रेस का पलटवार

मुख्यमंत्री के रोने पर कांग्रेस ने पलटवार करते हुए कहा है कि मुख्यमंत्री को खुश रहना चाहिए। राज्य के डिप्टी सीएम जी. परमेश्वर ने कहा, ‘मुख्यमंत्री ऐसी बात कैसे कर सकते हैं? सीएम को हमेशा खुश रहना चाहिए। अगर वो खुश रहेंगे, तभी हम सब भी खुश रहेंगे।

आंखों से निकले दर्द के आंसू…
सूबे के मुख्यमंत्री और जेडीएस नेता कुमारस्वामी ने कहा है कि वे सत्ता में तो हैं, लेकिन इसके लिए उन्हें नीलकंठ की तरह विष पीना पड़ रहा है। उन्होंने कहा, ‘मैं जानता हूं कि मैं मुख्यमंत्री बना इसकी वजह से आप खुश हैं, लेकिन मैं खुश नहीं हूं। मैं भगवान नीलकंठ की तरह विष पी रहा हूं।’ ये कहते-कहते मुख्यमंत्री की आंखें भर आईं। उन्होंने कहा कि वर्तमान के हालात से वे बिल्कुल खुश नहीं हैं। बता दें कि ये सारी बातें कुमारस्वामी ने शनिवार को बेंगलुरु में आयोजित जनता दल सेक्युलर (जेडीएस) द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में कही।

‘मैं चाहूं तो 2 घंटे में छोड़ दूं सीएम पद’

भावुक कुमारस्वामी ने कर्ज माफी का जिक्र करते हुए कहा कि कोई नहीं जानता कि इस कदम को उठाने के लिए अधिकारियों को चालाकी से मनाना पड़ा। सीएम ने कहा, ‘अब वे ‘अन्ना भाग्य स्कीम’ में 5 किलो चावल की बजाय 7 किलो देना चाहते हैं। मैं इसके लिए कहां से 2500 करोड़ रुपये लेकर आऊं? टैक्स लगाने के लिए मेरी आलोचना हो रही है। इन सबके बावजूद मीडिया कह रही है कि मेरी कर्ज माफी की स्कीम में स्पष्टता नहीं है। अगर मैं चाहूं तो 2 घंटेे के भीतर सीएम का पद छोड़ दूं।’
बता दें कि हाल ही में कर्नाटक में कुमारस्वामी की गठबंधन सरकार ने अपना पहला बजट पेश किया था।कुमारस्वामी ने बजट के दौरान किसानों की कर्जमाफी के लिए 34,000 करोड़ रुपये आवंटित करने का एलान किया। साथ ही, पेट्रोल और डीजल पर टैक्‍स बढ़ाने का भी निर्णय लिया। पेट्रोल के दाम 1.14 रुपए प्रतिलीटर, डीजल 1.12 रुपए प्रतिलीटर और बिजली दरें 20 पैसे बढ़ा दी गई। जिसका जिक्र कुमारस्वामी अपने भाषण में कर रहे थे।

‘लोगों की भलाई के लिए पद पर’
इस दौरान उन्होंने कहा कि ईश्वर ने उन्हें यह शक्ति (सीएम पद) प्रदान की है। अब वे तय करेंगे कि मुझे कितने दिन रहना है। एक तरह से विधानसभा चुनावों में अपनी पार्टी के खराब प्रदर्शन को स्वीकारते हुए उन्होंने कहा उन्होंने सीएम का पद केवल लोगों की भलाई के लिए लिया है। सीएम ने कहा कि मेरा सपना था कि मैं पार्टी के वादों और अपने पिता एचडी देवगौड़ा के अधूरे कामों को पूरा करूं। यह ताकत हासिल करने के लिए नहीं था।

समझिए कर्नाटक की सियासी जंग

– कर्नाटक विधानसभा चुनाव में किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला था।

– भाजपा राज्य में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी।

– भाजपा को रोकने के लिए कांग्रेस और जेडीएस ने चुनाव बाद गठबंधन कर लिया।

– कांग्रेस ने ज्यादा सीटें (78) जीतने के बावजूद जेडीएस नेता कुमारस्वामी को मुख्यमंत्री बनाने का ऑफर दिया।

– कुमारस्वामी ने 23 मई को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।

– शपथग्रहण के बाद मंत्री पद के बंटवारों, किसान कर्जमाफी, पेट्रोल-डीजल की कीमत जैसे मसलों पर कई बार जेडीएस और कांग्रेस आमने-सामने नजर आए।

– झगड़ा सुलझाने के लिए कई बार कुमारस्वामी ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात भी की

– अब खुद मुख्यमंत्री ने ‘विष’ पीने की बात कही है।

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