नई दिल्ली: आज देश भर के करीब दस हज़ार किसान, मजदूर, सर्विस सेक्टर के कर्मचारी और भूमिहीन कृषि मजदूर रैली कर रहे हैं। ये पहली बार है जब किसान और मजदूर किसी एक रैली में एकजुट होकर हिस्सा ले रहे हैं। बुधवार सुबह ये किसान रैली रामलीला ग्राउंड से शुरू होकर रणजीत सिंह फ्लाईओवर, टॉलस्टॉय मार्ग होते हुए संसद मार्ग पहुंचा। किसानों के मार्च के कारण दिल्ली की कई सड़कों पर जाम की स्थिति है, इसके अलावा कुछ रास्तों पर ना जाने की सलाह दी जा रही है। वही रैली के चलते कई मार्ग परिवर्तित किये गए हैं। रैली में 25 हजार से ज्यादा किसान शामिल होने की संभावना है। ऐसे में ट्रैफिक पुलिस ने लोगों को सलाह दी है कि वे रामलीला मैदान व संसद मार्ग की तरफ आने से बचें।
इस दौरान किसानों ने कहा कि किसानों को लेकर सरकार की नीतियां गलत हैं। सरकार को किसानों, मजदूरों और गरीबों को लेकर अपनी नीतियों को बदलना चाहिए। अगर सरकार अपनी नीतियां नहीं बदलेगी तो हम सरकार बदल देंगे।
उन्होंने केंद्र सरकार को चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगों को नहीं माना गया तो ये आंदोलन और भी व्यापक होगा। उनका कहना है कि अगली बार देशभर से किसान आएंगे और पूरी राजधानी का घेराव करेंगे। रैली में हिस्सा ले रहे किसान संगठन ने बताया कि नवंबर महीने में देश के 200 से ज्यादा किसान संगठन अपनी मांगों को लेकर दिल्ली का घेराव करेंगे।
किसानों की इस रैली में सीपीआई (एम) सीताराम येचुरी भी शामिल हुए हैं। इस दौरान उन्होंने मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि सरकार ने जनता को धोखा दिया है। सरकार के प्रति जनता के अंदर काफी रोष भरा हुआ है और इसीलिए लाखों की संख्या में किसान अपनी मांगों को लेकर दिल्ली पहुंचे हैं।
क्या है किसानों की मांग?
इस चार्टर में मांग की गई है कि रोज बढ़ रही कीमतों पर लगाम लगाई जाए, खाद्य वितरण प्रणाली की व्यवस्था को ठीक किया जाए, मौजूदा पीढ़ी को उचित रोजगार मिले, सभी मजदूरों के लिए न्यूनतम मजदूरी भत्ता 18,000 रुपया प्रतिमाह तय किया जाए। इसके अलावा इसमें ये बी कहा गया है कि मजदूरों के लिए बने कानून में मजदूर विरोधी बदलाव न किए जाएं..