ग्लोबल सैनिटेशन कन्वेंशन को संबोधित करते हुए बोले पीएम- बापू से मिली प्रेरणा, खुले में शौच करने वालों की संख्या 60 फीसदी से घटकर हुई 20 फीसदी

नई दिल्‍ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बताया कि आजादी की लड़ाई लड़ते हुए महात्‍मा गांधीजी ने एक बार कहा था कि वह स्वतंत्रता और स्वच्छता में स्वच्छता को प्राथमिकता देते हैं। ग्लोबल सैनिटेशन कन्वेंशन को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि मैं दुनिया के सामने स्वीकार करता हूं कि अगर मेरे जैसे लोग बापू के विचारों से प्रेरित नहीं होते तो शायद स्वच्छता किसी सरकार की प्राथमिकता नहीं बनती।

महात्मा गांधी की जयंती के अवसर पर पीएम मोदी ने कहा, ‘मैं सभी की तरफ से बापू को श्रद्धांजलि देता हूं। गांधीजी के लिए स्‍वच्‍छता के क्‍या मायने थे, ये इस बात से जाहिर होता है कि आजादी की लड़ाई लड़ते हुए गांधीजी ने एक बार कहा था कि वह स्वतंत्रता और स्वच्छता में स्वच्छता को प्राथमिकता देते हैं। महात्मा गांधी हमेशा स्वच्छता पर जोर देते थे, उन्होंने स्वच्छता पर विशेष ध्यान दिया। कई बार उन्‍होंने स्‍वच्‍छता को लेकर अपने विचार लोगों के सामने रखे।

पीएम मोदी ने कहा, ‘आज मैं दुनिया के सामने स्वीकार करता हूं कि अगर मैंने गांधी जी को, उनके विचारों को, इतनी गहराई से नहीं समझा होता, तो हमारी सरकार की प्राथमिकताओं में भी स्वच्छता अभियान कभी नहीं आ पाता। मुझे पूज्य बापू से ही प्रेरणी मिली, और उन्हीं के मार्गदर्शन से स्वच्छ भारत अभियान भी शुरू हुआ। आज मुझे गर्व है कि गांधी जी के दिखाए मार्ग पर चलते हुए सवा सौ करोड़ भारतवासियों ने स्वच्छ भारत अभियान को दुनिया का सबसे बड़ा जन आंदोलन बना दिया है। इसी जनभावना का परिणाम है कि 2014 से पहले ग्रामीण स्वच्छता का जो दायरा लगभग 38 प्रतिशत था, आज 94 प्रतिशत हो चुका है। विश्व को स्वच्छ बनाने के लिए चार P आवश्यक हैं। ये चार मंत्र हैं: राजनीतिक नेतृत्व, जनता से चंदा, साझेदारी और लोगों का सहयोग।’

उन्‍होंने कहा कि भारत में खुले में शौच से मुक्त गांवों की संख्या 5 लाख को पार कर चुकी है। भारत के 25 राज्य खुद को खुले में शौच से मुक्त घोषित कर चुके हैं। देश में खुले में शौच करने वालों की संख्या 60 फीसदी से घटकर 20 फीसदी पर आ गई है, हम निगरानी कर रहे हैं कि जो जगहें खुले में शौच से मुक्त हो चुके हैं, वहां दोबारा फिर ये शुरू नहीं हो।’

उन्‍होंने कहा कि कोई चीज गंदगी से घिरी हुई है और वहां पर उपस्थित व्यक्ति अगर उसे बदलता नहीं है, सफाई नहीं करता है, तो फिर वो उस गंदगी को स्वीकार करने लगता है। कुछ समय बाद ऐसी स्थिति हो जाती है कि वो गंदगी उसे गंदगी लगती ही नहीं यानि एक तरह से अस्वच्छता व्यक्ति कि चेतना को जड़ कर देती है। आज जब मैं सुनता हूं, देखता हूं कि स्वच्छ भारत अभियान ने भारत के लोगों का मिज़ाज बदल दिया है, किस तरह से भारत के गांवों में बीमारियां कम हुई हैं, इलाज पर होने वाला खर्च कम हुआ है, तो बहुत संतोष मिलता है।

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