भले ही रिजर्व बैंक ने नए साल से एटीएम से पैसे निकालने की सीमा 2500 से बढ़ाकर 4500 कर दी हो, लेकिन हकीकत ये भी है कि शुक्रवार तक देशभर में स्थित दो-तिहाई से भी ज्यादा एटीएम खाली थे। बैंक एटीएम में पैसा डालने की बजाय ग्राहकों को ब्रांच से पैसा वितरित करने को ज्यादा तरजीह दे रहे हैं।
एटीएम उद्योग परिसंघ (सीएटीएमआई) के अध्यक्ष संजीव पटेल ने एक अंग्रेजी अखबार से बात करते हुए कहा, ‘हमारे पास नियमित रूप से कैश नहीं आ रहा है, अभी भी देश के 30 फीसदी या 66000 एटीएम ही कार्य कर रहे हैं।’ सीएटीएमआई के अनुसार, नोटबंदी के बाद देशभर के 2.2 लाख एटीएम में से केवल 20 फीसदी एटीएम को ही नियमित रूप से कैश पहुंच रहा है।
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नोटबंदी से पहले प्रतिदिन एक एटीएम में 7 से 8 लाख रुपये प्रतिदिन डाले जा रहे थे, लेकिन नोटबंदी के बाद यह आंकड़ा घटकर 2-3 लाख रुपये प्रतिदिन रह गया है। एनसीआर कॉरपोशन, इंडिया और साउथ एशिया के मैनेजिंग डायरेक्टर नवरोज दस्तूर ने कहा, ‘बैंकों से लोगों को 24000 रुपये निकालने की सुविधा है, लेकिन इसके बाद भी लोगों की एटीएम के बाहर लंबी कतार है। बैंकों से एक बार मिलने वाली राशि की तुलना में एटीएम में उतनी ही राशि से 10 ग्राहकों को कैश मिल सकता है.’
दस्तूर ने बताया, सबसे बड़ी सकारात्मक बात यह है कि 500 के नोटों की सप्लाई में काफी सुधार हुआ है।