नैनीताल। सरोवर नगरी में मानवता को शर्मसार करने वाली घटना सामने आई है। जलसंस्थान के कर्मचारी के निधन पर मकान स्वामी ने शव को अपने मकान में नहीं लाने दिया। मां मकान स्वामी के पैरों में गिरकर गिड़गिड़ाती रही, लेकिन मकान स्वामी नहीं पसीजा। अंत में कर्मचारी के शव को अल्मोड़ा के गांव पपोली ले जाया गया। बेटे के शव का इस कदर अपमान होने के बाद मां भी अंतिम संस्कार के बाद दुनियां छोड़ गई। शुक्रवार को दिन भर नगर में इस प्रकरण की चर्चा होती रही। सभी लोग मकान स्वामी को कोसते रहे।
जलसंस्थान के पंप हाउस में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के पद पर तैनात योगेश कुंवर (28) का दो माह पहले ही विवाह हुआ था। इसी बीच योगेश को पीलिया हो गया और इलाज के लिए दिल्ली के एम्स में भर्ती कराया गया, लेकिन 19 जून को योगेश ने अस्पताल में दम तोड़ दिया। योगेश नगर के एक मकान में किराए पर रहता था। परिजन और दोस्त योगेश के शव को लेकर 20 जून को नगर में पहुंचे तो मकान स्वामी ने शव को मकान में लाने से इनकार कर दिया। योगेश का शव कई घंटे तक सड़क किनारे रखा रहा। मां को जब पता चला कि बेटे के शव को मकान मालिक घर में नहीं लाने दे रहा है तो वह उसके सामने काफी गिड़गिड़ाई मगर, वह नहीं पसीजा। यहां तक की मां मकान स्वामी के पैरों में गिर गई, उसे फिर भी उसे तरस नहीं आया। योगेश के रिश्तेदार और स्थानीय लोगों ने मकान स्वामी से अनुरोध किया, लेकिन वह नहीं माना। बताया कि योगेश नैनीताल में ही पैदा हुआ था। अब उसका दूसरे किसी स्थान पर कुछ नहीं है। अगर उसके शव को यहां नहीं लाने दिया तो वह कहां जाएंगे। उनके पास कोई दूसरा ठिकाना भी नहीं है।
शव का निरादर देख मां ने भी प्राण त्याग दिए
आसपास के लोग बार-बार कहकर हार गए, लेकिन मकान स्वामी नहीं माना। इसके बाद 20 जून गुरुवार को ही परिजन योगेश के मूल गांव पपोली अल्मोड़ा शव लेकर पहुंचे और रामेश्वर घाट में उसका अंतिम संस्कार किया गया। इसी बीच योगेश की मां अचानक से बेसुध हो गई। परिजनों ने समझा कि शायद कुछ देर में उन्हें होश आ आएगा, लेकिन बाद में पता चला कि लाडले के शव का निरादर देख मां ने भी प्राण त्याग दिए हैं। पालिका कर्मचारी शिवराज सिंह नेगी ने बताया कि मकान स्वामी का यह कृत्य मानवता को शर्मसार करने वाला है।