प्रोग्रेसिव डेमोक्रेटिक फ्रंट (पीडीएफ) को लेकर कांग्रेस के भीतर लंबे अरसे से चल रही तनातनी एक बार फिर सतह पर आ गई। कांग्रेस कार्यकर्ता सम्मेलन में पीडीएफ के कोटे से मंत्री व लालकुआं सीट से विधायक हरीश चंद्र दुर्गापाल को मंच पर स्थान देने से कुछ कांग्रेस कार्यकर्ता भड़क उठे।
मुख्यमंत्री हरीश रावत व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय की मौजूदगी में नाराज कार्यकर्ताओं ने जमकर नारेबाजी की और पीडीएफ विधायक को मंच से उतारने की मांग करते रहे। प्रदेश अध्यक्ष के बार-बार कहने पर भी कार्यकर्ता व उनके अगुवा नहीं माने तो तो उन्होंने सभी से बाहर जाने को कह दिया। इस पर नारेबाजी कर रहे लोग कार्यक्रम छोड़कर चल दिए।
बूथ सम्मेलन के लिए चार दिन से तैयारियों में जुटी कांग्रेस को इस बार राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर के भी पहुंचने का इंतजार था। उत्तर प्रदेश में व्यस्त होने के चलते हरिद्वार के बाद वह हल्द्वानी नहीं आए। इधर, करीब दो बजे सीएम हरीश रावत के साथ-साथ प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय, वित्त मंत्री डॉ. इंदिरा हृदयेश, राजस्व मंत्री यशपाल आर्य और श्रम मंत्री हरीश चंद्र दुर्गापाल कार्यक्रम स्थल पहुंचे।
सभी मंच पर बैठ गए। मंच के सामने एक छोर से तमाम कार्यकर्ता खड़े होकर नारेबाजी करते हुए ‘पीडीएफ हटाओ, कांग्रेस बचाओ’ के नारे लगाने लगे। साथ ही ‘दुर्गापाल को मंच से उतारो’ का शोर बढऩे लगा। माइक संभाले ही जिलाध्यक्ष सतीश नैनवाल की अपील पर बात नहीं बनी तो किशोर उपाध्याय ने सभी कार्यकर्ताओं को बैठने को कहा। उन्होंने कार्यकर्ताओं की अगुवाई करने वाले पार्टी नेता हरेंद्र बोरा, किरन डालाकोटी, बीना जोशी का नाम लेकर नारेबाजी करने वालों को चुप कराने को कहा।
साथ ही आश्वस्त किया कि सम्मेलन के बाद उनकी बात अलग से सुनी जाएगी। बात नहीं बनी तो उपाध्याय ने साफ-साफ कह दिया कि जिसे एतराज है वह कार्यक्रम से बाहर जा सकता है। मुझे मजबूर मत करो, वरना मंच से ही अनुशासनात्मक कार्रवाई करने में पीछे नहीं हटूंगा। इस बात पर सभा में मौजूद भीड़ ने तालियां बजाईं तो दुर्गापाल का विरोध करने वाले तीनों नेता अपने समर्थकों के साथ बाहर निकल आए।
सीएम का करते रहे इंतजार
कार्यकर्ताओं की नारेबाजी के बीच जब सबका ध्यान उसी ओर जाने लगा तो सीएम भी आहत नजर आए। शोर अधिक होने पर वह मंच से उठकर नीचे आ गए। इस पर नारेबाजी कर रहे कार्यकर्ताओं को लगा कि सीएम वापस जा रहे हैं या उन्हें सुनने आ रहे हैं। हालांकि सीएम लघुशंका के लिए मंच से उतरे थे। जब तक सीएम वापस लौटे तब तक किशोर कड़ा संदेश दे चुके थे।
कैसे भुला दूं मुश्किल वक्त का साथ
सम्मेलन के दौरान सीएम हरीश रावत ने पीडीएफ को लेकर दर्द बयां किया। बोले, जब मुझे सत्ता मिली तो क्या मैं बहुत सुखी था। दूसरों की मदद लेकर सरकार चलानी पड़ी। वह मुश्किलों का दौर था। हरीश दुर्गापाल का नाम लिए बिना बोले, मुश्किल में मदद करने वालों को कैसे भुला दूं। कांग्रेस की यह परंपरा नहीं रही है।