नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर पुनगर्ठन विधेयक को संसद की मिली मंजूरी के साथ ही जम्मू-कश्मीर की राजनीतिक तस्वीर बदल गई है। लद्दाख को उसकी मुंह मांगी मुराद मिल गई तो राज्य का बाकी हिस्सा विधानसभा के साथ केंद्र शासित राज्य बन गया। राज्य में जल्दी ही लंबित चुनावी परिसीमन कराया जाएगा। जिससे यहां की विधानसभा में सदस्यों की संख्या 107 से बढ़कर 114 हो जाएगी। दोनों केंद्र शासित राज्यों का एक ही हाईकोर्ट होगा।राजनीतिक रूप से जम्मू-कश्मीर व लद्दाख केंद्र शासित राज्य होने के नाते सीधे केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में आ गये हैं। जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित राज्य की राजनीतिक हैसियत दिल्ली और पुडुचेरी जैसी होगी। जबकि लद्दाख के पास अन्य केंद्र शासित राज्यों जैसे अधिकार होंगे। लद्दाख की प्रशासनिक व्यवस्था देखने के लिए राष्ट्रपति की ओर से प्रशासक नियुक्त किया जाएगा। जबकि जम्मू-कश्मीर जैसे केंद्र शासित राज्य में राज्यपाल पद की हैसियत उप राज्यपाल में तब्दील कर दी गई है।अनुच्छेद 370 हटने और विभाजन के बाद जम्मू-कश्मीर की प्रशासनिक व कानून व्यवस्था केंद्र के हाथ में पहुंच गई है। बदली हुई परिस्थिति में यहां की पुलिस केंद्र की कमान में होगी। राज्य में भ्रष्टाचार व अन्य अनियमितताओं की जांच के लिए अब केंद्रीय जांच एजेंसियों को राज्य प्रशासन से अनुमति लेने की जरूरत नहीं होगी। भ्रष्टाचार में लिप्त होने की वजह से चर्चा में आये जेके बैंक का प्रशासन पूरी तरह बदल सकता है।नवगठित जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित राज्य की भौगोलिक सीमा जम्मू कश्मीर प्रक्षेत्र की होगी। राज्य की कानून व्यवस्था केंद्र के पास होगी। यहां के राज्यपाल की जगह उप राज्यपाल नियुक्त होंगे। अब यहां पुडुचेरी की तर्ज पर धारा 239ए लागू की जाएगी।राज्य की नवगठित होने वाली विधानसभा की अवधि छह साल की जगह पांच साल ही होगी। नई विधानसभा में कुल 107 सदस्य होंगे। विधानसभा की इन सीटों में भी 24 सीटें पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के लिए रिक्त रखी जाएंगी।यह प्रावधान शुरु से किया जाता रहा है, जो अब भी जारी रहेगा। नये कानून के तहत उप राज्यपाल दो महिला प्रतिनिधियों को नियुक्त कर सकते हैं। जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित राज्य में राज्यसभा की चार सीटें ज्यों की त्यों बरकरार रहेंगी। जबकि लोकसभा की पांच सीटें बनी रहेंगी। लोकसभा के लिए लद्दाख की मौजूदा एक सीट बरकरार रहेगी।जम्मू-कश्मीर विधानसभा से पारित विधेयकों को उप राज्यपाल के पास मंजूरी के लिए भेजना पड़ेगा। उप राज्यपाल मंजूरी देने के लिए बाध्य नहीं होंगे। असहमत होने पर विधेयक को राष्ट्रपति को भेज सकते हैं। यहां की विधानसभा में किसी तरह की अस्थिरता होने पर संसद प्रमुख होगी। निर्वाचित सदस्यों की संख्या का 10 फीसद सदस्यों को ही मंत्री बनाया जा सकता है।केंद्र शासित राज्यों की सूची में जम्मू-कश्मीर आठवें स्थान पर शामिल हो गया। जम्मू-कश्मीर में लंबित चुनावी परिसीमन कराया जाएगा, जो वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर होगा। सरकार ने राज्य की विधानसभा की सीटों की संख्या 107 से बढ़ाकर 114 कर दिया है।लद्दाख केंद्र शासित राज्य के प्रशासनिक मुखिया प्रशासक होगा, जिसकी नियुक्ति राष्ट्रपति करेंगे। लद्दाख में में विधानसभा न होने की वजह से यहां विधायकों का चुनाव नहीं होगा। जबकि एक मात्र सांसद का निर्वाचन कराया जाएगा। लेकिन वहां पहले से ही गठित लद्दाख स्वायत्तशासी हिल डवलपमेंट काउंसिल बना रहेगा, जिसमें 30 काउंसिलर हैं।इनमें 24 निर्वाचित है, जबकि चार नामित होते हैं। काउंसिल अध्यक्ष चेयरमैन को राज्य के कैबिनेट मंत्री का दरजा प्राप्त है। लद्दाख का नागरिक प्रशासन पूरी तरह केंद्र के हाथ में रहेगा। पौने तीन लाख की आबादी वाले इसे केंद्र शासित राज्य का लेह व कारगिल बड़े शहर हैं। चीन की अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगे लद्दाख की लोकेशन महत्त्वपूर्ण है। भारत का अक्साई चीन वाला हिस्सा फिलहाल चीन के पास है, जिसका जिक्र लोकसभा में गृहमंत्री अमित शाह ने किया है।