देहरादून। राज्यपाल डा. कृष्ण कंात पाल ने आज राजभवन में 7वें ‘राष्ट्रीय मतदाता दिवस’ कार्यक्रम को मुख्य अतिथि के रूप में सम्बोधित करते हुए कहा कि देश की तरक्की के लिए लोकतंत्र का मजबूत होना आवश्यक है और लोकतंत्र की मजबूती का आधार मतदाता है। मतदाता अपने विवेक के आधार पर निर्भीकता से अपने मताधिकार का प्रयोग कर लोकतंत्र की मजबूती में अपना अमूल्य सक्रिय योगदान दें।
उन्होंने कहा कि लोकतंत्र का यह पर्व संविधान द्वारा प्रदत्त लोकतांत्रिक व्यवस्था के प्रति जनविश्वास का प्रतीक है जो प्रत्येक मतदाता को एक निष्पक्ष व प्रगतिशील सरकार के चयन का अधिकार देता है। मतदाताओं का भी दायित्व है कि वे लोकतंत्र की गरिमा व मर्यादाओं की रक्षा के लिए जाति, धर्म, भाषा, समुदाय अथवा अन्य किसी प्रलोभन से प्रभावित हुए बिना निर्भयता से अपने मताधिकार का प्रयोग करें। राज्यपाल ने 1950 में गठित भारत निर्वाचन आयोग द्वारा 1952 में कराये गए प्रथम चुनाव में चुनौतियों से भरी यात्रा के प्रारम्भ से लेकर आज तक की ऐतिहासिक सफल यात्रा के दौरान हुए उल्लेखनीय सुधारों की ज्ञानवर्धक जानकारी देते हुए कहा कि इन उल्लेखनीय सुधारों से निर्वाचन आयोग के प्रति जनविश्वास बढ़ा है। चुनौतियों के बावजूद हमारी निर्वाचन प्रणाली निरन्तर परिपक्व हो रही है। जितनी निष्पक्षता से हमारे देश में चुनाव होते हैं उतनी निष्पक्षता से किसी भी अन्य प्रगतिशील देश में नहीं होते। अपनी आधुनिकता व सरल व्यवस्थाओं की विशेषता के आधार पर ही भारत निर्वाचन आयोग आज पूरे विश्व के लिए आदर्श बन चुका है।
राज्यपाल ने उत्तराखण्ड में शान्तिपूर्ण, स्वतंत्र व निष्पक्ष तरीके से अब तक के हुए सभी निर्वाचनों के सम्पादन तथा निरन्तर बढ़ते मतदान प्रतिशत का श्रेय यहाँ के जागरूक नागरिकों को देते हुए सभी मतदाताओं से अपील की कि आगामी 15 फरवरी को होने जा रहे राज्य के चौथे विधानसभा चुनाव को भी शांतिपूर्ण माहौल में संपन्न कराने और अपने मताधिकार का प्रयोग शत्-प्रतिशत करने का संकल्प लें।