अक्षय तृतीया एक अबूझ मुहूर्त, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, मंत्र और महत्व

हिंदू पंचांग में अक्षय तृतीया को एक अबूझ मुहूर्त और बहुत ही महत्वपूर्ण तिथि मानी जाती है। अक्षय तृतीया के त्योहार को आखा तीज के नाम से भी जाना जाता है। हर वर्ष वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर अक्षय तृतीया का पर्व मनाया जाता है। इस तिथि पर सभी तरह के मांगलिक और शुभ कार्य को बिना पंचांग देखे ही किया जा सकता है। अक्षय तृतीया को अबूझ मुहूर्त माना गया है। अक्षय तृतीया के दिन खरीदारी को बहुत ही शुभ माना गया है। इस बार यह त्योहार 14 मई, शुक्रवार के दिन है।

अक्षय तृतीया 2021 Akshaya Tritiya 2021
– सूर्य इस दिन मेष राशि से वृष राशि में प्रवेश करेंगे। सूर्य के राशि परिवर्तन से इस दिन वृष राशि में सूर्य बुध के संयोग से बुधादित्य योग बनेगा। इस दिन शुक्र स्वराशि वृष में रहेंगे। इस पर शुभ संयोग यह भी बना है इस दिन चंद्रमा उच्च राशि होंगे। अक्षय तृतीया पर चंद्रमा का शुक्र के साथ शुक्रवार को वृष राशि में गोचर करना, धन, समृद्धि और निवेश के लिए बहुत ही शुभ फलदायी है।

– अक्षय तृतीया पर दान और पूजा करने से इसका फल कई गुना होने के साथ अक्षय भी रहता  है।
– अक्षय तृतीया पर सोने और चांदी से बने हुए आभूषण की खरीदारी को शुभ माना जाता है।
– अक्षय तृतीया पर भगवान विष्णु संग माता लक्ष्मी की विशेष रूप से पूजा की जाती है।
– अक्षय तृतीया पर दान करने का महत्व काफी होता है। अक्षय तृतीया पर 14 तरह के दान करने से सभी तरह के सुख और संपन्नता की प्राप्ति होती है।

अक्षय तृतीया मुहूर्त कब से कब तक Akshaya Tritiya 2021 Shubh Muhurat Timing
तृतीया तिथि का आरंभ: 14 मई 2021 को प्रात: 05 बजकर 38 मिनट से
तृतीया तिथि का समापन: 15 मई 2021 को प्रात: 07 बजकर 59 मिनट तक
अक्षय तृतीया पूजा मुहूर्त: प्रात: 05 बजकर 38 मिनट से दोपहर 12 बजकर 18 मिनट तक
अवधि: 06 घंटा 40 मिनट

अक्षय तृतीया पर महालक्ष्मी पूजा मंत्र Akshaya Tritiya 2021 Puja Mantra
 ‘ॐ नमो भाग्य लक्ष्म्यै च विद्महे अष्ट लक्ष्म्यै च धीमहि तन्नौ लक्ष्मी प्रचोदयात्।।’

अक्षय तृतीया पूजा विधि Akshaya Tritiya 2021 Puja Vidhi
अक्षय तृतीया के दिन सुबह पानी में गंगाचल मिलाकर स्नान करें। इसके बाद पूजा स्थल पर भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित कर उनका विधि-विधान के साथ पूजा करें। भगवान विष्णु और  माता लक्ष्मी संग पूजा करने के साथ तुलसी को दीप जलाकर उनकी भी पूजा करें। पूजा में भगवान विष्णु और महालक्ष्मी की आरती और मंत्रो का उच्चारण कर दान का संकल्प करना चाहिए।

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