देश भर में 18 माह से कम उम्र के 99.9 प्रतिशत बच्चे रोजाना मोबाइल पर दो घंटे से ज्यादा वक्त गुजारते हैं। यह चौंकाने वाला खुलासा भारतीय बाल अकादमी की ओर से कोविड काल में किए गए एक सर्वे में हुआ है। इसे लेकर बाल रोग विशेषज्ञ चिंतित हैं, क्योंकि मोबाइल का दुष्प्रभाव बच्चों की आंखों के साथ दिमाग के विकास और व्यक्तित्व पर पड़ रहा है।
पिछले दिनों चंडीगढ़ में हुए अकादमी के राष्ट्रीय सम्मेलन में इस पर विशेषज्ञों ने मंथन किया और बचाव के लिए अकादमी की वेबसाइट पर अभिभावकों को जागरूक करने के विकल्प उपलब्ध कराए गए। विशेषज्ञों ने स्क्रीन की बढ़ती आदत को भविष्य की गंभीर समस्या बताया और कहा कि इससे बचाव के लिए अतिरिक्त सजगता जरूरी है। विशेषज्ञों का कहना है कि अभिभावक शुरुआत में अपनी सुविधा के लिए बच्चों को मोबाइल या टीवी की लत लगाते हैं और आगे चलकर बच्चे को इसकी लत लग जाती है।