गंगा सफाई को लेकर मोदी द्वारा कई योजनाएं बनाना सिर्फ जनता के साथ छलावा: आज़ाद अली

देहरादून। भारत की प्रसिद्ध ऐतिहासिक नदी गंगा में गन्दगी रोजाना बढ़ती ही जा रही है। जबकि केंद्र सरकार गंगा नदी को स्वच्छ बनाने के बड़े- बड़े दावे और वादे करते हुए नजर आती है किन्तु हकीकत उससे काफी पर है। गोमुख से निकली गंगा नदी जिसे हम भारत वासी माँ गंगा भी कहते हैं, आज अपने ही वजूद को बचाने के लिए जूझती नज़र आ रही है। गंगा की स्वच्छता और साफसफाई के सरकारी दावे हवाहवाई साबित हो रहे हैं। ये कहना है उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश सचिव आज़ाद अली का।

गंगा नदी की सफाई जैसे अहम व संवेदनशील मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए आज़ाद अली ने कहा कि गंगा नदी में प्रदूषण दिन-ब-दिन बढ़ता ही जा रहा है। आलम ये है कि गंगोत्री से निकलते ही भागीरथी में कचरा गिरना शुरू हो जाता है। ऋषिकेश तक तो फिर भी गंगा नदी कुछ हद तक स्वच्छ नज़र आती है किन्तु इसके बाद जिस बेतहाशा रफ्तार के साथ गंगा में गन्दगी गिराई जाती है, उसका वर्णन करना बेहद मुश्किल है। घरों से निकलने वाले नालों से लेकर छोटे-बड़े सभी उद्योगों के खतरनाक रसायन धड़ल्ले से गंगा में बहाये जा रहे हैं किन्तु सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी है।

आज़ाद अली ने कहा कि गौमुख से गंगा सागर तक के सफर में माँ गंगा को जगह-जगह दूषित किया जाता है किन्तु इस ओर सरकार का कोई ध्यान नहीं जाता। गंगा सफाई के बड़े-बड़े दावे करने वाली भाजपा ने गंगा की सफाई को लेकर कोई ठोस कार्य नहीं किया। भाजपा का नमामि गंगे प्रोजेक्ट भी पार्टी की आपसी कलह के चलते घटाई में पड़ गया। फलस्वरूप गंगा में प्रदूषण बदस्तूर जारी है। यही नहीं गंगा की सहायक नदियों का दूषित जल भी गंगा में समाकर इसे और अधिक मैली करने में लगा हुआ है।

आज़ाद अली ने कहा कि यदि भाजपा के “नमामि गंगे” अभियान की ही बात करें तो भाजपा नेत्री उमा भारती के कंधों पर इस अभियान की जिम्मेवारी रखी गयी। किन्तु उमा के कमजोर काँधे ज्यादा देर तक इस जिम्मेदारी को सह न सके और भाजपा की आपसी कलह की वजह उनसे ये जिम्मेदारी वापिस ले ली गई।

आज़ाद अली ने उत्तराखंड का ज़िक्र करते हुए कहा कि यदि धर्मनगरी हरिद्वार की ही बात की जाये तो यहाँ स्थित पतंजलि इंडस्ट्रीज की सारी गंदगी खुलेआम गंगा नदी में बहायी जा रही है। संत के वेश में उद्योगपति बने बैठे रामदेव और बालकृष्ण इस कंपनी के कर्ता-धर्ता हैं। पूरा देश जानता है कि रामदेव प्रधानमंत्री मोदी के कितने प्रिय हैं। किन्तु ऐसा अंधा प्रेम किस काम का जिसके आगे देश व प्रकृति प्रेम को भी भेंट चढ़ाया जा रहा हो। खुद के देशप्रेमी होने का दावा करने वाले बाबा रामदेव और पीएम मोदी दोनों ही गंगा को दूषित करने के लिए पूरे जिम्मेवार हैं।

उन्होंने कहा कि जहां रामदेव भाजपा के समर्थन से खुलेआम गंगा में पतंजलि का सारा खतरनाक केमिकल बहा रहे हैं तो वहीं मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भी फैक्ट्रियों से दूषित और गन्दा केमिकल गंगा में प्रवाहित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि रामदेव की पतंजलि से निकलने वाले वेस्टेज से हरिद्वार जनपद के कई बिगहा खेत प्रभावित होकर नष्ट हो चूके हैं। क्षेत्र के किसान पतंजलि प्लांट की वजह से परेशान हैं। सैकड़ों शिकायतें पतंजलि और रामदेव के खिलाफ दर्ज हैं मगर अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई।

आज़ाद अली ने कहा कि ऐसे में गंगा सफाई की बातें करना बेमानी ही होगा मोदी देशहित को दरकिनार कर आखिर रामदेव से कौन सी रिश्तेदारी निभा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि गंगा सफ़ाई के भाजपा के सभी दावे खोखले साबित हुए हैं। दरअसल भाजपा अपने वोटबैंक और पार्टी फंड की खातिर गंगा किनारे बसे औद्योगिक घरानों को नाराजकर कोई खतरा मोल लेना नहीं चाहती है। जिस वजह से उनके खिलाफ मोदी सरकार कोई सख्त कार्रवाई करने से गुरेज़ कर रही है और माँ गंगा में प्रदूषण बदस्तूर जारी है।

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