देहरादून। लंबे समय से छात्रों को नशा बेच रहे बरेली के मामू गैंग पर दून पुलिस शिकंजा कसने में आखिरकार कामयाब हो गई। पुलिस ने सोमवार को शातिर ड्रग डीलर मामू और उसके चार गुर्गो को झाझरा इलाके से गिरफ्तार कर लिया। यह गिरोह सोशल मीडिया नेटवर्किंग के जरिए छात्रों को नशा बेचता था। पुलिस ने गिरोह के हवाले से 280 ग्राम स्मैक और सवा लाख रुपये बरामद किए हैं। साथ ही तस्करी में इस्तेमाल होने वाली कार को भी सीज कर दिया है।
एसएसपी निवेदिता कुकरेती ने बताया कि प्रेमनगर में पिछले महीने पकड़े गए नशा तस्करों ने बरेली गैंग के बारे में कई जानकारियां दी थीं। पूछताछ में तस्कर ने यह भी बताया था कि बरेली का गैंग कैसे और किन रास्तों से नशे की खेप लाकर देहरादून में छात्रों को बेचता है। सोमवार को मुखबिर ने सूचना दी कि गैंग एक बार फिर नशे का सामान लेकर दून में दाखिल हो चुका है। इस सूचना पर एसओ बसंत विहार संजय मिश्र और एसओ प्रेमनगर मुकेश त्यागी को अलर्ट कर झाझरा इलाके में चेकिंग करने के निर्देश दिए गए।
चेकिंग के दौरान धूलकोट की ओर आती एक कार को रोकने का प्रयास किया गया तो ड्राइवर ने गाड़ी बैक कर भागने का प्रयास किया, लेकिन एसओजी प्रभारी पीडी भट्ट की टीम ने घेराबंदी कर कार को पकड़ लिया। कार में सवार पांच लोगों को हिरासत में लेकर गाड़ी की तलाशी ली गई तो उसमें 280 ग्राम स्मैक और सवा लाख रुपये नकद बरामद हुए। आरोपियों की पहचान शेरदिल खान पुत्र शेर अली खान निवासी माधवपुर माफी मोहल्ला इस्लामनगर थाना फतेहगंज बरेली, शाहिद पुत्र मुश्ताक निवासी इस्लामपुर तहसील मीरगंज थाना फतेहगंज बरेली, अजीत पुत्र वीर सिंह निवासी रायपुर रोड सर्वे, पुष्पेंद्र पुत्र जय प्रकाश शर्मा और रजत जायसवाल पुत्र राकेश जायसवाल निवासी करनपुर, डालनवाला के रूप में हुई। एसएसपी ने बताया कि गैंग का लीडर शेरदिल खान है, जिसे नशा तस्कर मामू के नाम से भी बुलाते हैं। मामू और उसका खास गुर्गा शाहिद, दोनों देहरादून में अजीत, पुष्पेंद्र और रजत के मार्फत नशे की सप्लाई करते थे।
व्हाट्सएप पर लेते थे आर्डर:
मामू गैंग ने नशे की सप्लाई के लिए व्हाट्सएप गु्रप बनाया था। गैंग के सदस्य समेत कई छात्र भी इस गु्रप से जुड़े थे। जिसे स्मैक, चरस या अन्य किसी तरह के नशे की जरूरत होती थी, तो इस ग्रुप में मैसेज डाल देता था। नशे की सामग्री को संदेश में ‘सामान’ कोड वर्ड से डाला जाता था। इसके बाद नशे का पैकेट तैयार कर उस पर पर्ची लगा दी जाती थी। फिर अजीत और पुष्पेंद्र ड्रग्स बांटने का रूट तय करते थे। शाहिद या रजत में से कोई संबंधित रूट की रेकी कर क्लीयरेंस देता था कि रास्ते में पुलिस या चेकिंग की कोई रुकावट नहीं है, इसके बाद अजीत और पुष्पेंद्र स्कूटी से नशे की डिलीवरी कर देते थे। इस दौरान गैंग का कोई सदस्य मोबाइल पर बात नहीं करता था। ग्राहक से केवल अजीत ही मुलाकात करता था।
कई और मामू हैं नशे के धंधे में:
शेरदिल खान उर्फ मामू ने एक और खुलासा किया कि नशे की दुनिया में और भी मामू हैं, जो बरेली से देहरादून समेत अन्य राज्यों में नशे की सप्लाई करते हैं। खान ने बताया कि वह महीने में दो बार देहरादून में नशे की डिलीवरी देने आता था।
खतरा कम, मुनाफा था ज्यादा:
देहरादून में नशा बेचने के पीछे मामू ने बताया कि यहां उसके अधिकांश ग्राहक छात्र ही थे, जिन तक नशा पहुंचाने में खतरा तो कम रहता ही था और पेमेंट भी नकद में होती थी। कुछ छात्र जो नशे की आदी हो चुके हैं, वह अधिक कीमत भी देने को तैयार रहते थे।