देहरादून। खेल संघों में महिला खिलाड़ियों के कथित यौन उत्पीड़न के मसले पर खेल मंत्री अरविंद पांडेय का बयान अब राजनीतिक मुद्दा बनता जा रहा है। इतना ही नहीं, अब सवाल यह भी उठ रहा है कि सारे सुबूत पास होने का दावा करने के बावजूद खेल मंत्री ने इस मामले में अभी तक कोई एक्शन क्यों नहीं लिया। हालांकि, खेल मंत्री खिलाड़ियों की लोकलाज का हवाला देते हुए सीधी कार्रवाई करने की बात से बच रहे हैं तो खेल संघों का पटरी पर लाने की घुड़की भी दे रहे हैं। विपक्ष के आरोपों पर कोई जवाब देने की बजाय उन्होंने कहा कि तुलना विकास कार्यों की की जानी चाहिए।
खेल मंत्री अरविंद पांडेय ने कुछ दिनों पूर्व एक चैनल को दिए बयान में खेल संघों में महिला खिलाड़ियों के कथित उत्पीड़न का आरोप लगाया था। खेल मंत्री का यह बयान सोशल मीडिया में खासा वायरल हुआ। इस बयान के वायरल होने के बाद पहली बार बुधवार को मीडिया के सामने आए खेल मंत्री अपने बयान पर जोर तो देते रहे लेकिन संघों पर सीधी कार्यवाही करने की बात पर सवाल को घुमाते भी रहे।
हालांकि खेल मंत्री खेल संघों पर निशाना साधने से भी नहीं चूक रहे हैं। बुधवार को इस संबंध में पूछे गए सवाल पर खेल मंत्री ने कहा कि खेल संघों से जुड़े लोगों में दम हैं तो वे उनके खिलाफ मुकदमा करके दिखाएं। अब प्रदेश में खेल संघों की मनमानी नहीं चलेगी। पिछली सरकार के समय खेल संघों से जुड़े लोगों ने खिलाड़ियों का शोषण किया है। इसके उनके पास पर्याप्त सुबूत हैं।
खेल मंत्री ने कहा कि यह लोगों की इज्जत से जुड़ा मामला है। लोकलाज के भय से खिलाड़ी सामने नहीं आ रहे हैं। कुछ की शादी हो गई है, मामला खुलने से उनका पारिवारिक जीवन खराब हो सकता है। उन्होंने दावा किया कि खेल मंत्री होने के नाते अब वे मनमानी नहीं होने देंगे और जल्द सारी व्यवस्थाओं को दुरुस्त करेंगे।
इस संबंध में कांग्रेस के आरोपों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि जो इज्जत की बात कर रहे हैं, उनसे वे कहना चाहते हैं कि आज भी देवभूमि में कंकाल मिल रहे हैं। वे इन लोगों को चुनौती देते हैं कि विकास कार्यों का 17 सालों बनाम सात महीने की तुलना करा कर देख लें। विकास का मसला खेल विभाग का हो या शिक्षा विभाग का, यदि वे उनसे सात गुना आगे न रहें तो वे अपने पद से त्यागपत्र देने को तैयार हैं।
कांग्रेस ने फिर खेल मंत्री पर साधा निशाना:
कांग्रेस ने खिलाड़ियों के कथित उत्पीडऩ के मसले पर मुख्यमंत्री व खेल मंत्री पर अपना हमला जारी रखा है। बुधवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि दुर्भाग्यपूर्ण है कि प्रदेश के मुखिया को इस गंभीर विषय की जानकारी नहीं है। वे इस मसले पर खेल मंत्री से बात कर रहे हैं। इससे साफ है कि सरकार के बीच समन्वय नहीं है। खेल मंत्री के पास यदि सारे सुबूत हैं तो वे मीडिया में बयानबाजी करने की बजाए दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करें।