विधायकों की खरीद फरोख्त मामले से संबंधित कथित स्टिंग मामले में फंसे उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत तय तिथी के अनुसार सीबीआई के समक्ष पेश नहीं हुए। उन्हें 26 दिसंबर यानि आज के लिए सीबीआई ने समन जारी किया था। सीबीआई को सीएम हरीश रावत की ओर से अनुरोध पत्र मिला, जिसमें उन्होंने उपस्थित नहीं हो पाने की बात कही है। इसी वर्ष मार्च में उत्तराखंड विधानसभा में विनियोग विधेयक पर चर्चा के साथ कांग्रेस विधायकों के एक गुट ने मतदान की मांग करते हुए हंगामा किया था। हंगामे के बीच विधानसभा अध्यक्ष ने विनियोग विधेयक को पारित घोषित कर दिया। इसके बाद बागी विधायकों ने भाजपा विधायकों के साथ राज्यपाल से मुलाकात की थी। पढ़ें: सीबीआइ के नोटिस को सीएम ने बताया केंद्र का षडयंत्र इस पर राज्यपाल ने मुख्यमंत्री से बहुमत साबित करने को कहा। विश्वास मत प्राप्त करने के विशेष सत्र से पहले तत्कालीन मंत्री हरक सिंह रावत ने दिल्ली में एक स्टिंग की सीडी जारी की। इसमें कथित तौर पर सीएम रावत को बहुमत के लिए विधायक जुटाने के लिए मोलभाव की बातचीत करते दिखाया गया था। पढ़ें: कुछ नजर में खटक रहा हूं, मुझे निपटाने की कर रहे साजिशः सीएम इस मामले की सीबीआइ जांच के निर्देश दिए गए। मुख्यमंत्री हरीश रावत ने केंद्र की सीबीआइ जांच की अधिसूचना के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर की। जिसमें न्यायाधीश न्यायमूर्ति यूसी ध्यानी की एकल पीठ के समक्ष सीएम की याचिका पर सुनवाई हुई। सीएम की ओर से अधिवक्ता देवीदत्त कॉमथ ने प्रार्थना पत्र प्रस्तुत करते हुए कोर्ट को बताया कि सीबीआइ ने सीएम को पूछताछ के लिए 26 दिसंबर को सीबीआइ मुख्यालय में पेश होने को कहा है। पढ़ें:-लोगों से पूछूंगा, क्या मैंने अपराध किया: मुख्यमंत्री हरीश रावत प्रार्थना पत्र में यह भी कहा गया था कि स्टिंग ऑपरेशन राजनीतिक दुर्भावना व साजिश के तहत किया गया और जांच एजेंसी साजिशकर्ताओं और मुख्य आरोपियों से पूछताछ की बजाय उन्हें परेशान कर रही है। इसलिए इस मामले की जल्द सुनवाई की जाए। सीबीआइ के अधिवक्ता संदीप टंडन ने दलीलों का विरोध करते हुए कहा कि हाई कोर्ट ने पूर्व के आदेश में मामले की जांच करने में किसी तरह की रोक नहीं लगाई है। यह भी कहा कि जांच एजेंसी मुख्यमंत्री के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने से पहले अदालत को सूचित करेगी।