देहरादून। जीवन में हर युवती का एक सपना होता है कि उसकी शादी हो और उसे एक सफल और खूबसूरत जीवनसाथी मिले जो जीवन के हर कदम पर उसका साथ दे। कुछ ऐसे ही सपने संजोकर दून की एक युवती ने भी दुल्हन बन श्रृंगार किया था, मगर जब बारात आयी तो माजरा कुछ और ही निकला और जो सच सामने आया वो बहुत ही हैरान करने वाला था।
मामला बसंत विहार थाना क्षेत्र के उमेदपुर का है। प्राप्त जानकारी के अनुसार सोमवार की दोपहर उमेदपुर निवासी एक 18 वर्षीय युवती की बारात हरियाणा के सोनीपत जिले से आयी। युवती के परिजनों ने भी अपनी हैसियत के मुताबिक बारात के स्वागत में कोई कसर नहीं छोड़ी।
इसी बीच दुल्हन बनी युवती ने भी अपने नये जीवन और जीवनसाथी को लेकर कई सपने सजा लिए थे किन्तु जब वरमाला के लिए दूल्हा और दुल्हन एक दूसरे के सामने आए तब युवती के सारे सपने चकनाचूर हो गए। सामने दूल्हा बनकर खड़ा शख्स 50 से भी अधिक उम्र का बुज़ुर्ग था।
दुल्हन का आरोप है कि जिस लड़के को शादी से पहले मिलवाया गया था, वो ये दूल्हा नहीं है बल्कि कोई और है। ये बात खुलने पर हंगामा मच गया। युवती ने हिम्मत दिखाकर अपने परिजनों से साफ कह दिया कि वो इस भुड्डे से कतई शादी नहीं करेगी। जिसके बाद युवती के परिजनों ने भी शादी से इनकार कर दिया। वहीं दूल्हे के रिश्तेदारों का कहना था कि उन्होंने इसी दूल्हे को शादी से पहले वधू पक्ष को दिखाया था।
गौरतलब है कि हरियाणा क्षेत्र में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं का लिंगानुपात काफी कम है। जिस वजह से वहाँ युवकों के लिए वधू तलाशना रेगिस्तान में पानी तलाशने के बराबर है। इसी जद्दोजहद में हरियाणा और राजस्थान जैसे राज्यों के युवा अधेड़ हो जाते हैं और बाहरी राज्यों में अपने लिए दुल्हन तलाशते हैं।
ऐसे लोगों द्वारा कई मर्तबा धन और दौलत का लालच देकर दुल्हन खरीदने के भी कई मामले प्रकाश में आये हैं। इसी की बानगी देहरादून में भी देखने को मिली, किन्तु इस मामले में युवती ने हिम्मत दिखाकर बुज़ुर्ग दूल्हे के साथ बन्धन में बंधने से साफ इंकार कर दिया। जिसके बाद बारात बगैर दुल्हन के ही वापस लौट गई।
वहीँ लोकलाज के भय से युवती के परिजनों ने पुलिस में मामले की शिकायत करने से परहेज किया। परिजनों का मानना है कि बस उनकी लाडली की जिंदगी बर्बाद होने से बच गई, उन्हें इतनेभर से ही सुकून है। अगर उनकी बेटी के नसीब में होगा तो जरूर उसे बेहतर वर मिलेगा। वाकई आज ऐसी सोच और ऐसी हिम्मत वाली युवतियों की ही जरूरत है जो अपने हक़ के लिये लड़ सकें और अन्याय के खिलाफ आवाज उठा सकें।