पटना। चारा घोटाले के दोषी लालू यादव के लिए बेल लेना भी टेढ़ी खीर साबित हो सकती है। कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि अब कानूनी जटिलताओं में लालू यादव आदतन अपराधी समझे जाएंगे। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक लालू यादव के वकीलों के बेल के तर्क पर अदालत को यकीन करना मुश्किल होगा। पटना हाईकोर्ट के सीनियर वकील वाई वी गिरी ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, ‘अतीत में उच्च अदालतें आदतन अपराधी को बेल देने के मामले में बहुत ही सतर्क रहीं हैं, वो भी खास कर के जब एक व्यक्ति को अदालत ने दूसरी बार दोषी ठहराया है।’
वाई वी गिरी ने बताया कि 2013 में जब लालू को चारा घोटाले के ही एक मामले में दोषी ठहराया गया था तो उन्हें सुप्रीम कोर्ट से बेल लेना पड़ा था। इस केस की जांच कर रहे सीबीआई के सूत्रों का कहना है कि चारा घोटाले में लालू के खिलाफ कुल 6 मामले हैं। इनमें पांच झारखंड में और एक बिहार में है। झारखंड में चल रहे पांच मामलों में दो में लालू यादव दोषी करार दिये जा चुके हैं। जबकि बाकी केसों में सुनवाई चल रही है, उम्मीद है कि दो से तीन महीने में इनमें भी फैसला आ सकता है।
बता दें कि झारखंड स्थित देवघर के कोषागार से 1991 से 1994 के दौरान अवैध रूप से 89 लाख रुपये की निकासी के मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने लालू यादव को दोषी करार दिया है। तब लालू यादव अविभाजित बिहार के मुख्यमंत्री थे। इस मामले में उन्हें 3 जनवरी को सजा सुनाई जाएगी। बता दें कि आरजेडी इस फैसले के खिलाफ ऊपरी अदालत में जाने वाली है। फैसले के बाद राजद प्रमुख लालू प्रसाद ने कहा कि उन्हें राजनीतिक विद्वेष के चलते साजिशन इस मामले में फंसाया गया है । उन्होंने कहा कि फैसले के खिलाफ वह उच्च न्यायालय में अपील करेंगे।
शनिवार (23 दिसंबर) को पार्टी के वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद सिंह ने कहा कि पार्टी अदालत के फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय का रुख करेगी । विशेष जज शिवपाल सिंह ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा को इस मामले में बरी कर दिया जबकि पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद को दोषी करार दिया ।